गगनयान: भारत की ओर से पहली बार मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी, IAF के 60 में से 12 पायलट चुने गये
By विनीत कुमार | Published: November 16, 2019 11:35 AM2019-11-16T11:35:41+5:302019-11-16T11:35:41+5:30
आखिर में तीन अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया जाएगा जो भारत के 2022 के मिशन के हिस्सा होंगे। पहले चरण के परीक्षण जुलाई और अगस्त में हुए थे।
रूसी विशेषज्ञों की मदद से भारतीय वायु सेना (IAF) के 12 पायलटों को चुना गया है जिन्हें भारत के अंतरिक्ष में इंसान को भेजने के पहले मिशन 'गगनयान' के लिए फाइनल ट्रेनिंग दी जाएगी। इन सभी को 60 पायलटों में से चुना गया है। ये सभी दरअसल रूस में यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में 45 दिनों के शुरुआती अभ्यास के लिए गये थे। इनमें से 7 अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं और अगले चरण के कठिन अभ्यास के लिए भारत लौटेंगे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया के बाद तीन अंतरिक्षयात्रियों का चयन किया जाएगा जो भारत के 2022 के मिशन के हिस्सा होंगे। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वायु सेना के ज्यादातर जवान शुरुआती परीक्षण के दौरान दांत से जुड़ी समस्याओं के कारण नहीं चुने गये। पहले चरण के ये परीक्षण जुलाई और अगस्त में हुए थे। IAF इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) के विशेषज्ञों ने इसका खुलासा इंडियन सोसायटी ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन फर्टिनिटि के सलाना कॉन्फ्रेंस में किया।
राकेश शर्मा (1982) और रविश मल्होत्रा (1984) के बाद से IAM भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को तीन दशकों से चुनने की प्रक्रिया जारी रखे हुए है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार IAM ने 24 टेस्ट पाटलट में से 16 पायलटों का चुनाव किया था। इस प्रक्रिया में IAM ने न्यूनतम शारीरिक परिस्थिति को नजरअंदाज किया। हालांकि, रूस की विशषज्ञों की टीम जो ज्यादा अनुभवी है जिन्होंने सामूहिक तौर पर कुल 560 दिन अंतरिक्ष में बिताये, उन्होंने इसमें और कमी कर दी।
IAM में चीफ सेलेक्शन ऑफिसर ग्रुप कैप्टन एमएस नटरास के अनुसार रूसी विशेषज्ञ दातों को लेकर बहुत सतर्क थे। बता दें कि 2018 में रूस के साथ हुए समझौते के तहत रूस भारत के पहली बार मानव को अंतरिक्ष में भेजने के मिशन में मदद कर रहा है। इसमें चयन से लेकर ट्रेनिंग और तकनीकी तैयारियां भी मुहैया कराना शामिल है।