जोशीमठ के बाद चमोली जिले के बहुगुणा नगर स्थित घरों में दरारें पड़नी शुरू, अन्य गांवों में भी ऐसी ही स्थिति; सामने आई ये बात
By अनिल शर्मा | Published: January 10, 2023 11:07 AM2023-01-10T11:07:12+5:302023-01-10T11:20:00+5:30
जोशीमठ में 19 होटलों, अतिथि गृहों और स्कूल भवनों को तथा शहर से बाहर पीपलकोटी में 20 ऐसे भवनों को प्रभावित लोगों के लिए चिह्नित किया गया है।
चमोलीः जोशीमठ क्षेत्र में भूमि धंसने के बीच चमोली जिले में कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में कुछ घरों में ताजा दरारें देखी गई हैं। अब जोशीमठ के साथ-साथ बुहुगुणा नगर के लोगों में भी भय पैदा हो गया है। इससे पहले सोमवार को सितारगंज विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा कि जोशीमठ के आसपास के अन्य गांवों में भी ऐसी ही स्थिति है।
गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने जोशीमठ की स्थिति के बारे में जानने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और ‘सब्सिडेंस जोन’ (प्रभावित क्षेत्र) में भूमिगत जल जमाव के स्थान का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि जमीन के नीचे पानी जहां जमा हुआ है वह इलाका जोशीमठ में है लेकिन अभी पानी के स्रोत का पता नहीं चल पाया है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए संबंधित सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी और राज्य सरकार को केंद्र की ओर से हर संभव सहायता दी जाएगी।
सितारगंज विधायक ने बताया कि "जोशीमठ में प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए प्रयास चल रहे हैं। हम जोशीमठ के लोगों की सुरक्षा का आश्वासन देते हैं। मुझे जोशीमठ के पास के गाँवों के बारे में ऐसी ही स्थिति से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री को उसी के बारे में जानकारी दी जाएगी।"
जोशीमठ में जिन घरों, होटलों और स्कूलों में अधिक दरारें आई हैं उन्हें आज गिराने का काम शुरू होगा। प्रशासन ने असुरक्षित घोषित किए गए क्षेत्रों को खाली करा दिया है। अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ में 19 होटलों, अतिथि गृहों और स्कूल भवनों को तथा शहर से बाहर पीपलकोटी में 20 ऐसे भवनों को प्रभावित लोगों के लिए चिह्नित किया गया है। मलारी इन और माउंट व्यू होटल, जिनमें और दरारें आ गई हैं, मंगलवार को गिरा दिया जाएगा।
ध्वस्तीकरण का काम केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की के विशेषज्ञों की एक टीम की देखरेख में किया जाएगा। विध्वंस कार्य में जिला प्रशासन की सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की एक टीम स्टैंडबाय पर है।