उधमपुर के पूर्व उपायुक्त के भाई ने अवैध शस्त्र लाइसेंस मामले में शाहिद चौधरी का किया बचाव

By भाषा | Updated: July 24, 2021 19:44 IST2021-07-24T19:44:46+5:302021-07-24T19:44:46+5:30

Former Udhampur Deputy Commissioner's brother defends Shahid Chaudhary in illegal arms license case | उधमपुर के पूर्व उपायुक्त के भाई ने अवैध शस्त्र लाइसेंस मामले में शाहिद चौधरी का किया बचाव

उधमपुर के पूर्व उपायुक्त के भाई ने अवैध शस्त्र लाइसेंस मामले में शाहिद चौधरी का किया बचाव

श्रीनगर, 24 जुलाई उधमपुर में उपायुक्त के तौर पर शाहिद इकबाल चौधरी के एक साल के कार्यकाल में जारी किये गए 1,700 शस्त्र लाइसेंस में से 15-20 लाइसेंस में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ियां मिली होंगी। शाहिद इकबाल चौधरी के भाई जफर इकबाल चौधरी ने यह कहा।

अवैध रूप से हथियार लाइसेंस देने के मामले की जांच के संबंध में शनिवार को सीबीआई ने शाहिद चौधरी के परिसरों की तलाशी ली थी। इसके अलावा एजेंसी ने जफर चौधरी के परिसरों की भी तलाशी ली थी। जफर चौधरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर का उधमपुर सेना की उत्तरी कमान का मुख्यालय है इसलिए सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की ओर से कई आवेदन प्राप्त होते हैं।

उन्होंने कहा कि 2012-16 के बीच उधमपुर जिले में 36,000 शस्त्र लाइसेंस जारी किये गए जिनमें से लगभग 1, 700 (लगभग चार प्रतिशत) लाइसेंस भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शाहिद चौधरी के कार्यकाल में जारी हुए थे। सीबीआई 2012-16 के बीच जारी हुए लाइसेंस की जांच कर रही है और शाहिद चौधरी मई 2015 से मई 2016 तक उपायुक्त के पद पर तैनात थे।

जफर चौधरी ने यह भी कहा कि शाहिद चौधरी के कार्यकाल के दौरान जारी हुए 1,700 लाइसेंस में से 15-20 लाइसेंस में प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ियां मिली हैं। शाहिद चौधरी, 2012-16 के दौरान तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में रियासी, कठुआ और उधमपुर जिले में जिलाधिकारी के पद पर तैनात थे।

जफर चौधरी ने दावा किया कि इस दौरान इन तीन जिलों में जारी किये गए 56,000 लाइसेंस में से केवल 1,720 लाइसेंस (लगभग तीन प्रतिशत) शाहिद चौधरी के कार्यकाल में जारी हुए, जो कि किसी भी जिले में किसी जिलाधिकारी द्वारा जारी किये गए लाइसेंस की सबसे कम संख्या है।

उन्होंने कहा कि 2012-16 के दौरान जम्मू कश्मीर में 4.49 लाख लाइसेंस जारी किये गए और 1,720 इसका मात्र 0.38 प्रतिशत है तथा इनमें से 15-20 लाइसेंस में प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ी पाई गई है।

जफर चौधरी ने कहा, “कुछ मामलों में प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ी है और इनकी संख्या 15-20 से अधिक नहीं है। यह काम मनुष्यों द्वारा किया जाता है और कई चरणों से होकर गुजरता है।” उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी का प्रशासनिक सेवा में 16 साल का बेदाग करियर रहा है और उनके विरुद्ध कोई आरोप नहीं लगे हैं।

जफर ने कहा, “उनके कार्यकाल में जारी हुए शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का कोई प्रश्न ही नहीं है। उनके कार्यकाल के दौरान में जारी हुए लाइसेंस की संख्या मात्र तीन प्रतिशत है इसलिए पैसे के लेनदेन बात सोची ही नहीं जा सकती।”

सीबीआई ने अवैध शस्त्र मामले में शनिवार को जम्मू कश्मीर और दिल्ली में 40 स्थानों पर तलाशी ली जिसमें शाहिद चौधरी और एक अन्य आईएएस अधिकारी नीरज कुमार के परिसर शामिल हैं।

आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर नियमों का उल्लंघन कर तत्कालीन राज्य में उन लोगों को शस्त्र लाइसेंस दिए, जो राज्य के निवासी नहीं थे।

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