"हिमालय के योगी" से सलाह लेने वाली एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण ने सीबीआई कोर्ट में दायर की जमानत अर्जी
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 25, 2022 10:07 PM2022-03-25T22:07:14+5:302022-03-25T22:11:04+5:30
सीबीआई ने दिल्ली के एक स्टॉक ब्रोकर के खिलाफ घोटाले की जांच करते हुए चित्रा रामकृष्ण को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट मिलने के बाद गिरफ्तार किया। सेबी की रिपोर्ट में बताया गया था कि चित्रा रामकृष्ण एनएसई में रहते हुए कथित तौर पर एक रहस्यमयी हिमालय के आदेश पर बड़े-बड़े नीतिगत फैसले लेती थीं।
दिल्ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण ने दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की है। अदालत द्वारा चित्रा रामकृष्ण की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद 6 मार्च को सीबीआई ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। वह फिलहाल वह एजेंसी न्यायिक हिरासत में है।
सीबीआई ने दिल्ली के एक स्टॉक ब्रोकर के खिलाफ घोटाले की जांच करते हुए चित्रा रामकृष्ण को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की रिपोर्ट मिलने के बाद गिरफ्तार किया। सेबी की रिपोर्ट में बताया गया था कि चित्रा रामकृष्ण एनएसई में रहते हुए कथित तौर पर एक रहस्यमयी हिमालय के आदेश पर बड़े-बड़े नीतिगत फैसले लेती थीं। चित्रा रामकृष्ण साल 2013 और 2016 के बीच एनएसई की सीईओ रही हैं।
सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक चित्रा "हिमालय में रहने वाले योगी" के साथ ईमेल के माध्यम से एनएसई के बारे में गोपनीय जानकारी साझा करती थीं। जांच एजेंसी को संदेह है कि यह "योगी" वास्तव में आनंद सुब्रमण्यम था, जिसे इस महीने की शुरुआत में मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में आनंद सुब्रमण्यम की जमानत अर्जी भी कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी।
यह मामला तब सामने आया जब सेबी ने चित्रा रामकृष्ण पर आनंद सुब्रमण्यम को एनएसई में बतौर मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त करने और उन्हें अनैतिक तौर पर कई गुना अधिक तनख्वाह पर रखे जाने का आरोप लगाया
सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसे दस्तावेजी सबूत मिले हैं, जिससे पता चलता है कि चित्रा रामकृष्ण ने साल 2014 से साल 2016 की अवधि तक ईमेल से एक अज्ञात व्यक्ति के साथ एनएसई की आंतरिक गोपनीय जानकारी साझा की।
मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि स्टॉक ब्रोकर संजय गुप्ता की एनएसई के आंतरिक निर्णयों की जानकारी होती थी। चित्रा ने संजय गुप्ता की फर्म ओपीजी सिक्योरिटी लिमिटेड को किसी भी अन्य से पहले बाजार डेटा की सारी जानकारी पहुंच जाती थी।
समझा जाता है कि चित्रा रामाकृणन के क्रिया-कलापों से बाजार में हेरफेर हुई, जिसके कारण कुछ स्टॉक ब्रोकरों को अनुचित लाभ और गलत लाभ मिला। सीबीआई मार्केट एक्सचेंजों के कंप्यूटर सर्वर से शेयर दलालों को सूचना लीक होने के आरोपों की भी जांच कर रही है।