अखिल भारतीय बाघ आकलन के लिए वन विशेषज्ञों का प्रशिक्षण संपन्न

By भाषा | Published: September 13, 2021 03:16 PM2021-09-13T15:16:58+5:302021-09-13T15:16:58+5:30

Forest experts' training for All India Tiger Estimation completed | अखिल भारतीय बाघ आकलन के लिए वन विशेषज्ञों का प्रशिक्षण संपन्न

अखिल भारतीय बाघ आकलन के लिए वन विशेषज्ञों का प्रशिक्षण संपन्न

भोपाल, 13 सितंबर मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय बाघ आकलन 2022 की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। वर्ष 2018 में हुई पिछली बाघ गणना के अनुसार देश में सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश में हैं।

प्रदेश के एक वन अधिकारी ने सोमवार को बताया कि अखिल भारतीय बाघ आकलन प्रत्येक चार वर्ष में किया जाता है। इस सिलसिले में प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद में रविवार को वृत्त स्तरीय नोडल अधिकारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ।

उन्होंने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून के विभिन्न वन अधिकारी और विशेषज्ञ कार्यक्रम में शामिल हुए।

अधिकारी ने कहा, ‘‘ इस साल सर्वेक्षण अक्टूबर से दिसंबर तक तीन महीने के लिए किया जाएगा। यह आकलन तीन चरणों में किया जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि इसमें प्रथम चरण में सबसे पहले मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के सभी वन बीटों में मांसाहारी और शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपस्थिति संबंधी साक्ष्य इकट्ठे किये जाते हैं। द्वितीय चरण में जी आई एस मैप का वैज्ञानिक अध्ययन और तृतीय चरण में वन क्षेत्रों में कैमरा ट्रेप लगाकर वन्य प्राणियों के फोटो लिये जाते हैं।

अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष होने वाले बाघ आकलन की खासियत यह है कि इसमें कागज का उपयोग न करके एक विशेष मोबाईल एप एम स्ट्राइप इकोलॉजिकल के जरिए बाघ के आंकड़े एकत्रित होंगे।

उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व के अलावा क्षेत्रीय वन मण्डल एवं निगम क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से शाकाहारी-माँसाहारी वन्य-प्राणियों की गणना पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिये मैदानी कर्मचारियों को बाघ गणना के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है।

इससे पहले, मध्यप्रदेश ने 2010 के अखिल भारतीय बाघ आकलन में बाघ राज्य का तमगा खो दिया था और तब देश में सबसे ज्यादा बाघों का घर होने का तमगा कर्नाटक राज्य को हासिल हुआ था। उस समय कर्नाटक में 300 बाघों की तुलना में मध्य प्रदेश में 257 बाघ थे।

अधिकारियों का मानना है कि मध्य प्रदेश में तब बाघों की संख्या में मुख्य तौर पर कमी पन्ना टाइगर रिजर्व में कथित तौर पर अवैध शिकार के कारण हुई थी। पन्ना टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी। वर्ष 2014 की बाघ जनगणना में उत्तराखंड (340), कर्नाटक (408) के बाद मध्य प्रदेश 308 बाघों की आबादी के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गया। लेकिन वर्ष 2018 की बाघ गणना में मध्य प्रदेश 526 बाघों के साथ पुन: देश में प्रथम स्थान पर आ गया। मध्य प्रदेश का आंकड़ा कर्नाटक से दो अधिक रहा।

मालूम हो कि मध्य प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा और पन्ना सहित कई बाघ अभयारण्य हैं।

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Web Title: Forest experts' training for All India Tiger Estimation completed

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