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प्रत्यक्ष विदेशी निवेशः अप्रैल 2016 से मार्च 2020, 1600 भारतीय कंपनियों को मिला चीन से एक अरब डॉलर

By भाषा | Updated: September 15, 2020 19:15 IST

मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दिया गया। सरकार से प्रश्न किया गया था कि क्या यह तथ्य है कि भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप में चीनी एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है।

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ठळक मुद्देअप्रैल 2016 से मार्च 2020 के दौरान चीन से एक अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ है।चीन से 102 करोड़ 2.5 लाख डालर (1.02 अरब डॉलर) का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया। बिजली के उपकरणों की कंपनियों ने इस अवधि के दौरान चीन से 10 करोड़ डॉलर से अधिक का एफडीआई प्राप्त किया।

नई दिल्लीः देश की 1,600 से भी अधिक भारतीय कंपनियों को अप्रैल 2016 से मार्च 2020 के दौरान चीन से एक अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ है।

सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। यह आंकड़ा, मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दिया गया। सरकार से प्रश्न किया गया था कि क्या यह तथ्य है कि भारतीय कंपनियों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप में चीनी एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया है।

आंकड़ों के अनुसार, 1,600 से अधिक कंपनियों ने अप्रैल 2016 से मार्च 2020 की अवधि के दौरान चीन से 102 करोड़ 2.5 लाख डालर (1.02 अरब डॉलर) का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया। ये कंपनियां 46 क्षेत्रों में थीं।

इनमें से ऑटोमोबाइल उद्योग, पुस्तकों की छपाई (लिथो प्रिंटिंग उद्योग सहित), इलेक्ट्रॉनिक्स, सेवाओं और बिजली के उपकरणों की कंपनियों ने इस अवधि के दौरान चीन से 10 करोड़ डॉलर से अधिक का एफडीआई प्राप्त किया।

आंकड़ों से पता चलता है कि ऑटोमोबाइल उद्योग ने चीन से अधिकतम 17.2 करोड़ डालर का एफडीआई प्राप्त किया। जबकि सेवा क्षेत्र ने 13 करोड़ 96.5 लाख डॉलर का एफडीआई प्राप्त किया। निगमित मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लिखित जवाब में कहा कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय चीनी एजेंसियों द्वारा किए गए निवेश के बारे में जानकारी नहीं रखता है। 

ऋणग्रस्तता के कारण किसानों की आत्महत्या के राज्यवार आंकड़े 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं : सरकार

सरकार ने मंगलवार को बताया कि कर्ज में डूबे होने और दिवालियापन के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या करने के राज्यवार आंकड़े 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं हैं। लोकसभा में प्रतापराव जाधव के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘‘ 2014 और 2015 के दौरान ऋणग्रस्तता और दिवालियापन के कारण किसानों द्वारा आत्महत्या किये जाने संबंधी राज्यवार आंकड़े हैं। हालांकि यह आंकड़ा 2016 के बाद से उपलब्ध नहीं है। ’’

सरकार द्वारा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से संबंधित रिपोर्ट के माध्यम से उपलब्ध कराये गए ऋणग्रस्तता और दिवालियापन के कारण किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों के अनुसार 2014 में इसके कारण 1,163 किसानों ने आत्महत्या की थी जिनमें महाराष्ट्र से 857, तेलंगाना से 208, कर्नाटक से 51 और आंध्र प्रदेश से 36 किसानों की आत्महत्या के मामले शामिल हैं ।

2016 में कर्ज में डूबे होने और दिवालियापन के कारण 3,097 किसानों ने आत्महत्या की जिनमें महाराष्ट्र से 1,293, कर्नाटक से 946, तेलंगाना से 632 और आंध्र प्रदेश से 154 किसानों के आत्महत्या के मामले आए। मंत्री ने बताया कि कृषि राज्य का विषय है, अत: राज्य सरकारें राज्य में कृषि विकास के लिये उपयुक्त उपाय करती हैं, हालांकि भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों और बजटीय सहायता के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में सहयोग करती है। 

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