बच्चे का नामकरण को लेकर अलग-अलग धर्मों के माता-पिता के बीच हुआ विवाद, कोर्ट ने रखा ये नाम 

By भाषा | Updated: May 11, 2018 04:52 IST2018-05-11T04:52:59+5:302018-05-11T04:52:59+5:30

अलग रह रहे दंपति में से, बच्चे की मां का कहना था कि उसका नामकरण 'जॉन मनी सचिन' के रूप में किया गया है लेकिन पिता ने कहा कि जिस नाम पर सहमति बनी है वह 'अभिनव सचिन' है। 

Following estranged couple failure to name their kida and Kochi High Court names him as Johan Sachin | बच्चे का नामकरण को लेकर अलग-अलग धर्मों के माता-पिता के बीच हुआ विवाद, कोर्ट ने रखा ये नाम 

बच्चे का नामकरण को लेकर अलग-अलग धर्मों के माता-पिता के बीच हुआ विवाद, कोर्ट ने रखा ये नाम 

नई दिल्ली, 11 मईः बच्चे के नामकरण को लेकर अलग-अलग धर्मों के माता-पिता के बीच पैदा हुआ विवाद जब केरल उच्च न्यायालय में पहुंचा, तो बच्चे का भविष्य देखते हुए अदालत ने उसका नामकरण करते हुए रजिस्ट्रार को दो हफ्ते के भीतर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया। अलग-अलग धर्म के एक दंपति अपनी अपनी इच्छानुसार नाम वाले अपने दूसरे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने में नगर निगम की 'निष्क्रियता' के लिए खफा थे। दोनों के बीच नाम रखने के मुद्दे पर वैवाहिक विवाद शुरू हो गया। इसके बाद अदालत ने मामले में हस्तक्षेप किया। 

अलग रह रहे दंपति में से, बच्चे की मां का कहना था कि उसका नामकरण 'जॉन मनी सचिन' के रूप में किया गया है लेकिन पिता ने कहा कि जिस नाम पर सहमति बनी है वह 'अभिनव सचिन' है। 

पिता ने अदालत को बताया कि बच्चे के जन्म के 28 वें दिन नामकरण समारोह ( केरल में हिंदू व्यवस्था के अनुसार नामकरण संस्कार के लिए आयोजित किया जाने वाला समारोह) में उनके दूसरे बच्चे का नाम अभिनव सचिन रखने पर सहमति बनी थी । 

अदालत को लगा कि बच्चे को एक नाम देने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि स्कूल में नामांकन होने के उसके जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के जयशंकर नाम्बियार ने माता पिता के बीच पैदा हुए मतभेद का संज्ञान लिया और दंपति की इच्छा का सम्मान करते हुए बच्चे का नामकरण 'जॉन सचिन' के रूप में कर दिया। 

न्यायाधीश ने कहा कि 'जॉन' बच्चे के मां की इच्छा का प्रतिनिधित्व करेगा जबकि सचिन से पिता की जरूरतें पूरी होंगी और यह पता चलेगा कि यह बच्चा उसका है। रिट याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीश ने जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार से फैसले की प्रति मिलने की तारीख से दो हफ्ते के भीतर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया। 

इससे पहले मां के अधिवक्ता ने बताया कि नामकरण संस्कार के दौरान बच्चे का नाम 'जॉन मनी सचिन' रखा गया था लेकिन पिता के साथ सुलह के लिए मां 'मनी' छोड़ने पर राजी हो गयी थी। पिता हालांकि, जान के स्थान पर 'अभिनव' रखने पर जोर दे रहा था। 

न्यायमूर्ति जयशंकरन ने कहा कि यह कार्रवाई बच्चे के हित में होगा जिसका संरक्षण अभी मां के पास है। परिवार न्यायालय के निर्देशों के अनुसार उन्होंने बच्चे का संरक्षण समय समय पर पिता को भी देने का निर्देश दिया। 

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