सेना में शामिल होगी ये लंबी दूरी की मार करने वाली पहली भारतीय तोप, एक लाख रुपए का है गोला
By भाषा | Published: June 8, 2018 07:06 PM2018-06-08T19:06:32+5:302018-06-08T19:07:56+5:30
पोकरण में 2 जून से 7 जून के बीच हुए यूजर ट्रायल में 155 एमएम 45 केलीबर की 6 धनुष आर्टिलरी गन द्वारा सफलता पूर्वक फायरिंग की गई।
जबलपुर, 08 जून: गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर में निर्मित 'धनुष तोप' अपने अंतिम ट्रायल में सफल रही। सफल परीक्षण के बाद लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली पहली भारतीय तोप को भारतीय सेना में शामिल करने का रास्ता भी साफ हो गया है। गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर के वरिष्ठ महाप्रबंधक एस के सिंह ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया, 'धनुष आर्टिलरी गन अपने अंतिम ट्रायल में सफल रही।'
उन्होंने कहा कि पोकरण में 2 जून से 7 जून के बीच हुए यूजर ट्रायल में 155 एमएम 45 केलीबर की 6 धनुष आर्टिलरी गन द्वारा सफलता पूर्वक फायरिंग की गई। अंतिम चरण के परीक्षण में पहले पांच दिनों में (2 जून से 6 जून तक) प्रत्येक गन से 50 फायर किये गये। इस प्रकार कुल 300 फायर किये गये। अंतिम दिन (सात जून को) सभी 6 तोपों से एक साथ एक लक्ष्य पर 101 फायर किये गये।
इसी बीच, इस फैक्ट्री के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर में निर्मित 155 एमएम की एक धनुष तोप की लागत करीब 14.50 करोड़ रूपये है, जबकि इस तोप के एक गोले की कीमत करीब एक लाख रूपये है। इसकी मारक क्षमता विदेश से आयातित उस बोफोर्स तोप से 11 किलोमीटर ज्यादा है, जिसे सेना ने कारगिल युद्ध में उपयोग किया था।
अधिकारी ने कहा कि धनुष तोप का शीतकालीन परीक्षण सिक्किम व लेह में, ग्रीष्मकालीन ट्रायल पीएक्सई बालेश्वार, बवीना रेंज झांसी व पोकरण में सफलतापूर्वक किया गया। इस तोप से एक वर्ष पूर्व अंतिम ट्रायल के दौरान पोकरण में मजल और बैरल फटने की दो घटनाएं हुई थी। इस घटना के कारणों की जांच एमओडी के विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ द्वारा की गयी थी। आर्टिलरी गन के संपूर्ण डिजाइन को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर जांचा गया। जांच समिति ने आर्टिलरी गन के डिजाइन में किसी प्रकार की कमी नहीं पाई थी।
उन्होंने बताया कि सटीकता व उपयोगिता की दृष्टि से धनुष तोप दुनिया की सर्वश्रेष्ठ आर्टिलरी गन में से एक है। धनुष आर्टिलरी गन की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है और यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सुसज्जित है। इस आर्टिलरी गन के 81 प्रतिशत कलपुर्जों का निर्माण देश में हुआ है।
उन्होंने बताया कि हमें भारतीय सेना को 18 आर्टिलरी गन की आपूर्ति करनी है। वर्ष 2018-19 में एक दर्जन तोपों की सप्लाई कर दी जाएगी। प्रथम चरण में सेना को 114 तोपों की आपूर्ति की जायेगी और कुल 414 आर्टिलरी गन की सप्लाई का अनुबंध होगा।