एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करना सरकार के पास एक विकल्प : अजित पवार

By भाषा | Published: March 5, 2021 03:01 PM2021-03-05T15:01:09+5:302021-03-05T15:01:09+5:30

Filing of reconsideration petition in the Supreme Court on SC, ST, OBC reservation is an option with the government: Ajit Pawar | एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करना सरकार के पास एक विकल्प : अजित पवार

एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करना सरकार के पास एक विकल्प : अजित पवार

मुंबई, पांच मार्च महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि स्थानीय निकायों में अनुसूचित जाति, अनुसूचति जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को 50 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ाने से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करना महाराष्ट्र सरकार के समक्ष एक विकल्प है।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण, अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीटों के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता।

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम 1961 के भाग 12 (2)(सी) की व्याख्या करते हुए ओबीसी के लिए संबंधित स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण प्रदान करने की सीमा से संबंधित राज्य चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2018 और 2020 में जारी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के चुनाव नतीजों को गैर-कानूनी घोषित किया जाता है और संबंधित स्थानीय निकायों की इन रिक्त हुई सीटों के बचे हुए कार्यकाल को राज्य चुनाव आयोग द्वारा भरा जाएगा।

विधान सभा में यह मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता भाजपा के देवेंद्र फडणवीस न मांग की कि प्रश्न काल के स्थान पर एमवीए (महा विकास आघाड़ी) के नेतृत्व वाली सरकार को इस बारे में जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का ओबीसी आरक्षण पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

फडणवीस ने राज्य सरकार पर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को नजरअंदाज करने और ओबीसी की आबादी पर सही आंकड़ा एकत्रित करने के लिए समिति का गठन नहीं करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि वह कोरोना वायरस महामारी का हवाला देकर एक पुनर्विचार याचिका दाखिल करे और जल्द से जल्द एक ओबीसी आयोग का गठन करे।’’

फडणवीस का जवाब देते हुए पवार ने कहा कि 1994 के बाद से मंडल आयोग द्वारा अनिवार्य आरक्षण (ओबीसी के लिए) पर आधारित स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का आदेश सिर्फ धुले, नंदूरबार, नागपुर, अकोला, वासिम, भंडारा और गोंदिया जिलों में स्थानीय निकायों के संबंध में है।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत का आदेश सिर्फ कुछ स्थानीय निकायों तक सीमित है। लेकिन अगर फडणवीस कहते हैं कि समूचा राज्य इससे प्रभावित हो सकता है तो हमें इसका समाधान तलाशना होगा। मैं सभी से इस बारे में विचार विमर्श करने और रास्ता तलाशने का अनुरोध करता हूं।’’

उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बृहस्पतिवार शाम को कैबिनेट के सहयोगियों ने चर्चा की।

पवार ने कहा कि एमवीए के नेतृत्व वाली सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि हालांकि उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करना महाराष्ट्र सरकार के पास एक विकल्प है।

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