सात निलंबित सांसदों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में तीखी जंग

By शीलेष शर्मा | Updated: March 7, 2020 07:17 IST2020-03-07T07:17:12+5:302020-03-07T07:17:12+5:30

कांग्रेस के निलंबित सात सांसदों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में तीखी जंग शुरु हो गई है. भाजपा जहां कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई को लोकसभा से निष्कासित करने पर अड़ी है वहीं कांग्रेस अपने सहयोगी दलों की मदद से लोकसभा अध्यक्ष से गुहार लगा रही है कि इन सातों सदस्यों के निलंबन को वापस लिया जाए.

Fierce battle between Congress and BJP over seven suspended MPs | सात निलंबित सांसदों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में तीखी जंग

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

कांग्रेस के निलंबित सात सांसदों को लेकर कांग्रेस और भाजपा में तीखी जंग शुरु हो गई है. भाजपा जहां कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई को लोकसभा से निष्कासित करने पर अड़ी है वहीं कांग्रेस अपने सहयोगी दलों की मदद से लोकसभा अध्यक्ष से गुहार लगा रही है कि इन सातों सदस्यों के निलंबन को वापस लिया जाए.

गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला हंगामे के कारण सांसदों ने जो आचरण किया उससे दु:खी होकर अपने आसन पर नहीं बैठ रहे हैं. हालांकि उन्हें मनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने ओम बिड़ला से मुलाकात कर उन्हें आसन पर आने के लिए कहा. लेकिन अध्यक्ष तब तक आसान पर बैठने के लिए तैयार नहीं है जब तक सभी सदस्य उनको यह भरोसा नहीं देते कि सदन नियमों के अनुरूप चलेगा और सांसदों का आचरण सदन के अंदर नियमों से बंधा रहेगा.

सात सांसदों पर फैसला लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है जो समूचे घटनाक्रम और दो मार्च से हुए हंगामे की पूरी तहकीकात करने के बाद अपना फैसला सुनाएगी.

भाजपा की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ किया कि अध्यक्ष जो भी फैसला लेगें उनकी पार्टी उसका पालन करेगी. दूसरी ओर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष से अपील की कि वे इस फैसले पर पुर्नविचार करें. उनका तर्क था कि सात सदस्यों को एक साथ पूरे सत्र के लिए निलंबित किए जाने का कोई आधार नहीं बनता. क्योंकि जिस समय हंगामा हुआ अन्य दलों के सांसद भी थे लेकिन निलंबन केवल कांग्रेस सदस्यों का किया गया. उदाहरण देते हुए अधीर रंजन ने टिप्पणी की कि जेब काटने वाले को फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता, जब भाजपा विपक्ष में थी तो उसने इतना हंगामा किया कि पूरा सत्र ही हंगामे की भेंट चढ़ गया.

कोरोना वायरस पर हनुमान बेनीवाल द्वारा राहुल और सोनिया पर की गयी टिप्पणी के कारण माहौल गरमाया और उसी के कारण यह घटना घटित हुई. जिसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने टिप्पणी की कि जो कुछ हुआ वह 70 साल में कभी नहीं हुआ. कांग्रेस भले ही अपने सदस्यों की तुलना जेब कतरा कह कर रही हो लेकिन हम ऐसा नहीं करेगें. उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान 45 सदस्यों को सत्र की पूरी अवधि के लिए बाहर किया गया था.

कांग्रेस के निलंबित सदस्यों के निलंबन को वापस लेने की मांग राकांपा की ओर से सुर्पिया सुले, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्य, द्रमुक के दयानिधि मारन सहित अन्य सदस्यों ने भी यही मांग दोहराई.  अब गेंद अध्यक्ष के पाले में है कि वे क्या निर्णय करते है. हालांकि भाजपा की पूरी कोशिश है कि गौरव गोगोई की सदस्यता को ही समाप्त कर दिया जाए.
 

Web Title: Fierce battle between Congress and BJP over seven suspended MPs

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