दारुल उलूम देवबंद का फतवा: मुसलमानों की शादी में 4 रस्मों को बताया नापसंदीदा अमल
By भाषा | Published: December 20, 2018 04:49 PM2018-12-20T16:49:47+5:302018-12-20T16:49:47+5:30
दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों ने कहा कि इस दौरान दूल्हे ओर दुल्हन पर रिश्तेदारों की नजर पड़ती है और हंसी-मजाक होता है।
सहारनपुर, 20 दिसंबर (भाषा) इस्लामिक शिक्षण संस्था देवबंद के दारुल उलूम ने दुल्हन की मुंह दिखाई और दुल्हे की सलामी को लेकर एक फतवा जारी किया है। शादी की कई रस्मों को दारुल उलूम के इफ्ता विभाग ने इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए इनसे बचने की सलाह दी है।
देवबंद क्षेत्र के गांव इमलिया निवासी मुदस्सिर सिद्दीकी ने दारुल उलूम से लिखित सवाल किया था कि शादी के मौके पर दूल्हे की सलामी के लिये दुल्हन के घर जाना, दुल्हन के पहली बार ससुराल जाने पर उसकी मुंहदिखाई की रस्म, तोहफे दिये जाने, दुल्हन की खीर चटाई और दूल्हे की जूता चुराई के लिये शरीयत में क्या हुक्म है ।
इन सवालों का जबाव दारुल उलूम के फतवा विभाग के मुफ्तियों की खण्डपीठ ने देते हुए कहा कि इस तरह की रस्मों को किया जाना रसूम-ए-कबीहा यानि नापसंदीदा अमल है। मुफ्तियों ने कहा कि इस दौरान दूल्हे ओर दुल्हन पर रिश्तेदारों की नजर पड़ती है और हंसी-मजाक होता है।
खण्डपीठ ने ससुराल आकर दुल्हन की मुंह दिखाई करने की रस्म छोड़ने की नसीहत दी। साथ ही शादी के मौके पर दूल्हे की सलामी के लिये दुल्हन के घर जाना ओर नामहरम को सलाम कर उनसे तोहफे आदि लेने को नापसंदीदा अमल बताया।
उन्होंने कहा कि दूल्हे की रस्म सलामी पर पहली बार ससुराल जाने के दौरान नामहरम औरतें उसके सामने आती हैं जिनसे हंसी मजाक भी होती है। कई जगहों पर जूता चुराई की रस्म निभाई जाती है लेकिन ये सभी रस्में इस्लाम के खिलाफ हैं। इस तरह की रस्मों से दूरी बनाई जानी चाहिए।