पंजाब में आत्महत्या करने वाले 2000 किसानों की विधवा ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर संभाली कमान, जानें पूरा मामला

By अनुराग आनंद | Published: December 17, 2020 08:23 AM2020-12-17T08:23:27+5:302020-12-17T08:39:40+5:30

दिल्ली से सटे टिकरी बॉर्डर पर पंजाब की करीब 2000 महिलाओं ने आंदोलन के नेतृत्व को अपने कंधे पर ले लिया है। इन सभी महिलाओं ने पंजाब में किसानी-खेती कर रहे अपने पति व बेटे के आत्महत्या के बाद इस आंदोलन में हिस्सा लेने का फैसला किया है।

Farmers protest: The widow of 2000 farmers who committed suicide on the border of Delhi took command, know the whole matter | पंजाब में आत्महत्या करने वाले 2000 किसानों की विधवा ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर संभाली कमान, जानें पूरा मामला

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

Highlightsसंगरूर जिले के जखपाल गांव के मृतक किसानों के चार रिश्तेदार भी आंदोलन में शामिल हैं। हजारों महिलाएं दिल्ली के टिकरी सीमा से लगभग 7 किमी दूर उग्राहन समूह के पारगमन शिविर में पहुंची हैं।

नई दिल्ली:पंजाब में पिछले कई वर्षों से आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार के सदस्य बुधवार को दिल्ली की टिकरी सीमा पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। मृतक किसानों की कुछ विधवाओं और माताओं ने कहा कि वे धरना-प्रदर्शन में शामिल होने और किसानों के हक में आंदोलन को तेज करने के लिए यहां पहुंची हैं। 

इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या करने वाले किसानों में से लगभग 2,000 महिलाएं पंजाब की मालवा क्षेत्र के विभिन्न जिलों से मंगलवार को 17 बसों में और 10 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से भरकर भारतीय किसान यूनियन की तरफ से इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंच गई हैं।

महिलाओं ने अपने पति व बेटे की तस्वीर को लेकर किया प्रदर्शन-

हजारों महिलाएं दिल्ली के टिकरी सीमा से लगभग 7 किमी दूर उग्राहन समूह के पारगमन शिविर में पहुंची, जहां उन्होंने आत्महत्या करने वाले अपने मृतक रिश्तेदारों की तस्वीर के साथ प्रदर्शन किया।

विरोध में शामिल होने वाली महिलाओं में ज्यादातर छोटे किसानों के परिवार से हैं, जिनमें संगरूर जिले के जखपाल गांव के मृतक किसानों के चार रिश्तेदार भी शामिल हैं।

34 वर्षीय गुरमेहर कौर भी इस आंदोलन में शामिल हैं-

इनमें गुरमेहर कौर (34) भी शामिल हैं, जिन्होंने 2007 में कम उम्र में अपने पति जुगराज सिंह को खो दिया था और तब से गांव में अकेली रह रही हैं।

उन्होंने बताया कि उनके पति के पास 1.5 एकड़ जमीन थी और वे वित्तीय समस्याओं और कर्ज से बहुत अधिक प्रभावित थे। जब उनकी मृत्यु हुई, मैं दो बच्चों के साथ अकेली थी।

गुरमेहर ने कहा कि इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए मैंने अपने छोटे बेटे को अपनी बहन को रखने के लिए दे दिया है। मैं यहां उसकी देखभाल नहीं कर सकता था। गुरमेहर ने बताया कि उसका बड़ा बेटा अपने नाना-नानी के साथ 10 किलोमीटर दूर गांव में रहता है। 

पति को खोया अब बेटे के भविष्य के लिए कर रहे हैं आंदोलन

देशभक्त किसान पति की आत्महत्या के बाद विधवा महिला ने कहा कि मेरे पति की मृत्यु के बाद, हमने खेती के लिए अपनी जमीन लीज पर दी और तब से दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। हर महीने 1,800-2,000 रुपये कमाते हैं। मेरा बड़ा बेटा अभी 18 साल का है और जब वह पढ़ाई पूरी कर लेगा, तो वह खेती का काम संभाल लेगा। ऐसे में किसानों के हक के लिए अपने बेटे के भविष्य के लिए आज हमें यह लड़ाई लड़नी ही होगी।

गुरमेहर की तरह ही सैकड़ों महिलाएं किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंच गई हैं। महिलाओं ने पंजाब के पुरुष किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को तेज करने का फैसला किया है।  

Web Title: Farmers protest: The widow of 2000 farmers who committed suicide on the border of Delhi took command, know the whole matter

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