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वार्ता विफल हुई तो सख्त कदम उठाएंगे: किसान संगठनों ने दिया मॉल-पेट्रोल पंप बंद करने का अल्टीमेटम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 02, 2021 9:43 AM

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.

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ठळक मुद्देबुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच दो मुद्दों पर बात बनी थी।तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा.  किसानों ने आज कहा कि यदि सरकार चार जनवरी को किसानों के पक्ष में फैसला नहीं लेती है, तो वे कड़े कदम उठाएंगे.

नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांगों पर अडिग किसान यूनियन पिछले करीब डेढ़ माह से दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों ने आज कहा कि यदि सरकार चार जनवरी को किसानों के पक्ष में फैसला नहीं लेती है, तो वे कड़े कदम उठाएंगे.

सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है. किसान नेता विकास ने कहा, ''यदि सरकार के साथ चार जनवरी की बैठक में गतिरोध दूर नहीं होता, तो हम हरियाणा में सभी मॉल, पेट्रोल पंपों को बंद करने की तारीखों की घोषणा करेंगे.''

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा-राजस्थान सीमा पर शाहजहांपुर में प्रदर्शन कर रहे किसान भी राष्ट्रीय राजधानी की ओर आगे बढ़ेंगे. एक अन्य नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि यदि अगले दौर की बातचीत में कोई ठोस फैसला नहीं हुआ, तो छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.

बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर किसानों की चिंताओं के समाधान के लिए सहमति बनी थी. हालांकि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा. 

टॅग्स :किसान आंदोलनयोगेन्द्र यादव
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