किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’, काले झंडे लहराए
By भाषा | Updated: May 26, 2021 14:47 IST2021-05-26T14:47:09+5:302021-05-26T14:47:09+5:30

किसान आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसानों ने मनाया ‘काला दिवस’, काले झंडे लहराए
नयी दिल्ली, 26 मई केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को ‘काला दिवस’ मनाया और इस दौरान उन्होंने काले झंडे फहराए, सरकार विरोधी नारे लगाए, पुतले जलाए और प्रदर्शन किया।
गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल पर थोड़ी अराजकता की भी खबर है, जहां किसानों ने भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच केन्द्र सरकार का पुतला जलाया।
‘काला दिवस’ प्रदर्शन के तहत किसानों ने तीन सीमा क्षेत्रों सिंघू, गाजीपुर और टिकरी पर काले झंडे लहराए और नेताओं के पुतले जलाए।
दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना वायरस संक्रमण से हालात और लागू लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठे नहीं होने की अपील की है और कहा कि प्रदर्शन स्थल पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वह कड़ी नजर बनाए रखे है।
किसान नेता अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि न केवल प्रदर्शन स्थल पर बल्कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के गांवों में भी काले झंडे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपने घरों और वाहनों पर भी काले झंडे लगाए हैं।
मेहमा ने कहा, ‘‘सरकार के नेताओं के पुतले जलाए गए। आज का दिन यह बात दोहराने का है कि हमें प्रदर्शन करते हुए छह माह हो गए हैं लेकिन सरकार जिसके कार्यकाल के आज सात वर्ष पूरे हो गए, वह हमारी बात नहीं सुन रही है।’’
किसान नेता ने कहा कि इस आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखाते हुए लोगों ने करे रंग की पगड़ी लगाई और काले दुपट्टे ओढ़े।
सिंघू सीमा पर प्रदर्शनकारी कजारिया टाइल्स के कार्यालय पर इकट्ठा हुए और उन्होंने बैठक की इसके बाद उन्होंने प्रदर्शनस्थल तक रैली निकाली।
किसान नेता कुलवंत सिंह ने कहा,‘‘ प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे ले कर रैली निकाली। उन्होंने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला भी जलाया।’’
उन्होंने कहा,‘‘ हम लोगों से अपने घरों और अन्य स्थानों पर काले झंडे लगा कर किसानों का समर्थन करने की अपील कर रहे हैं।’’
गौरतलब है कि मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा को कथित तौर पर प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा कोविड-19 नियमों का उल्लंघन करने पर नोटिस भेजा था। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी संक्रमण से हालात और लॉकडाउन के मद्देनजर इकट्ठा नहीं होने की अपील की थी।
किसान नेता मेहमा ने कहा कि सरकार को ऐसे वक्त में तीन नए कृषि कानून लाने ही नहीं चाहिए थे जब महामारी की शुरुआत हो रही थी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ अगर सरकार चाहती है कि हम वापस जाएं तो उसे हमारी बात सुननी चाहिए और कानून वापस लेने चाहिए क्योंकि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती, हम कहीं नहीं जा रहे।’’
मेहमा ने कहा,‘‘ हमें कोई शौक नहीं है गर्मी में, सर्दी में सीमाओं पर बैठने का। हम भी घर वापस जाना चाहते हैं और सुरक्षित रहना चाहते हैं।’’
मंगलवार से ही सिंघू, टीकरी और गाजीपुर प्रदर्शन स्थल सहित सभी सीमाओं पर पुलिस बल तैनात है।
दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर गाजीपुर में सैकडों की संख्या में किसान भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में समूहों में बट गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन करने हुए केन्द्र का पुतला जलाया।
इस बीच स्थानीय पुलिस ने दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे के नीचे यूपी गेट पर पुतला जलाने की कोशिश कर रहे किसानों को रोकने की कोशिश की और इस दौरान वहां थोड़ी देर के लिए अफरा तफरी मच गई।
भाकियू समर्थक हाथों में काले झंडे लिए हुए थे, कई लोगों के हाथों में तख्तियां थीं जिनमें सरकार की निंदा वाले नारे लिखे हुए थे और उन्होंने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।