परिवार, दोस्तों और कश्मीरी लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से माखनलाल बिंदरू को अंतिम विदाई दी

By भाषा | Updated: October 6, 2021 20:06 IST2021-10-06T20:06:45+5:302021-10-06T20:06:45+5:30

Family, friends and Kashmiri people bid their last farewell to Makhanlal Bindru with tearful eyes | परिवार, दोस्तों और कश्मीरी लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से माखनलाल बिंदरू को अंतिम विदाई दी

परिवार, दोस्तों और कश्मीरी लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से माखनलाल बिंदरू को अंतिम विदाई दी

श्रीनगर, छह अक्टूबर ‘‘मानवतावादी व्यवसायी’’ माखनलाल बिंदरू के आवास पर बुधवार को समाज के सभी तबके के लोग श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट हुए और थोड़े समय के लिए वैदिक मंत्रों एवं नजदीक की मस्जिद से ‘अजान’ की आवाज ने हवाओं में सांप्रदायिक सौहार्द घोल दिया। आतंकवादियों ने मंगलवार को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

उनका परिवार जब अंतिम संस्कार की तैयारियां कर रहा था, उस समय विविध नारे सुनाई पड़े। उनकी पत्नी ने गुस्से में कहा, ‘‘आज धरती से उन्हें हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी विदा कर रहे हैं। वह मानवता के लिए जिए। उन्होंने आप लोगों की सेवा की... उनकी हत्या क्यों की गई? उनकी गलती क्या थी?’’

शोक व्यक्त करने पहुंचे कई लोगों ने कहा कि वह एकता की मिसाल थे और श्रीनगर में सबके लिए जाना-पहचाना चेहरा थे। प्रमुख कश्मीरी पंडित को इंदरा नगर स्थित उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने आए घाटी भर के लोगों में से कुछ की आंखें नम थीं। वह उन कश्मीरी पंडितों में थे जो घाटी में तनाव और अस्थिरता के दौर में भी रूके रहे।

उनकी बेटी श्रद्धा बिंदरू ने गुस्से में कहा, ‘‘मैं आंसू नहीं बहाऊंगी।’’ कुर्सी पर खड़ी होकर उन्होंने हत्यारों को चुनौती दी, ‘‘मैं माखनलाल बिंदरू जी की बेटी हूं। उनका शरीर गया है, आत्मा नहीं।’’ श्रद्धा चंडीगढ़ के एक अस्पताल में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

उन्होंने अपने पिता के हत्यारों को चुनौती देते हुए कहा, ‘‘अगर आपमें ताकत है तो आईए मेरे साथ बहस कीजिए। आप नहीं करेंगे। आप केवल इतना जानते हैं कि कैसे पथराव किया जाता है और कैसे गोलीबारी की जाती है।’’ श्रद्धा ने कहा कि उनके पिता ने साइकिल पर व्यवसाय शुरू किया था और उनके डॉक्टर भाई तथा उन्हें वहां तक पहुंचने में मदद की जहां आज वे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मां दुकान पर बैठती हैं और लोगों की सेवा करती हैं।

कई लोगों ने बताया कि 68 वर्षीय माखनलाल पिछले 31 वर्षों से हर अमीर-गरीब की मदद कर रहे थे और जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क दवा देते थे। उनकी दुकानें दवाओं के लिए विश्वस्त नाम थीं।

श्रद्धांजलि देने आए एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में ऊंची तनख्वाह पा रहे अपने बेटे को वह लोगों की सेवा के लिए कश्मीर लेकर आए।

उनके घर से पार्थिव शरीर को करण नगर शमशान घाट ले जाया गया जहां उनके बेटे सिद्धार्थ और बेटी श्रद्धा ने चिता को मुखाग्नि दी ।

1992 में प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता एच.एन. वानछू की हत्या के बाद संभवत: यह पहला मौका है, जब समूची घाटी से लोग किसी की मौत का मातम मनाने के लिए एकत्र हुए हैं।

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Web Title: Family, friends and Kashmiri people bid their last farewell to Makhanlal Bindru with tearful eyes

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