भारत में पढ़ रहे अफगान छात्रों को सता रही परिवार की चिंता, वीजा अवधि बढ़ाने का भी अनुरोध किया

By भाषा | Published: August 17, 2021 10:33 PM2021-08-17T22:33:49+5:302021-08-17T22:33:49+5:30

Family concerns haunting Afghan students studying in India, also requested to extend the visa period | भारत में पढ़ रहे अफगान छात्रों को सता रही परिवार की चिंता, वीजा अवधि बढ़ाने का भी अनुरोध किया

भारत में पढ़ रहे अफगान छात्रों को सता रही परिवार की चिंता, वीजा अवधि बढ़ाने का भी अनुरोध किया

तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे इस युद्धग्रस्त देश के छात्र काफी चिंतित हैं क्योंकि उनमें से ज्यादातर अपने परिवार के सदस्यों से बात नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही उन्हें तालिबान के शासन में अपने परिवार और मुल्क के भविष्य की चिंता सता रही है।कुछ छात्रों ने कोविड-19 के कारण शिक्षण संस्थान बंद होने के चलते वापस अफगानिस्तान गए अपने साथियों की सहायता करने का अनुरोध भारत सरकार से किया है। साथ ही कुछ छात्र लंबे वक्त तक यहां रहने के लिए अपने वीजा की अवधि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं।पुणे के एक निजी विश्वविद्यालय से एमबीए कर रहे शुकरुल्ला अहमदी (25) ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में स्थिति भयानक और डरावनी है। हमने इस तरह के हालात की कभी कल्पना नहीं की थी। काबुल से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर लोगार प्रांत में अपने गृह नगर में इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं पूरी तरह बंद है और मैं अपने परिवार से बात नहीं कर पाया हूं।’’अहमदी के परिवार में मां के अलावा तीन बड़े भाई हैं और वह आखिरी बार वर्ष 2018 में अपने परिवार से मिलने अपने गृह नगर गए थे। इस बीच, कई गैर-सरकारी संगठन और शिक्षण संस्थानों के अधिकारी छात्रों की सहायता के लिए आगे आए हैं। आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव ने कहा, ‘‘ संकट की इस घड़ी में आईआईटी दिल्ली अफगानिस्तान में अपने विद्यार्थियों एवं पूर्व विद्यार्थियों के साथ खड़ा है। हम विद्यार्थियों की परिसर में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। हम उनकी उम्मीद बंधाए हुए हैं।’’ इस संस्थान ने अपने अफगान विद्यार्थियों एवं पूर्व विद्यार्थियों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये हैं । फिलहाल आईआईटी दिल्ली के विभिन्न पाठ्यक्रमों में 17 अफगान विद्यार्थी पंजीकृत हैं तथा उनमें से महज एक ही दिल्ली में है क्योंकि कोविड-19 महामारी के चलते अभी ऑनलाइन कक्षाएं चलायी जा रही हैं। आईआईटी दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय मामलों के डीन नवीन गर्ग ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ हम उनके संपर्क में है और उनकी हर संभव मदद का प्रयास कर रहे हैं। दुर्भाग्य से जबतक वीजा का काम पूरा नहीं हो जाता है, हम उन्हें यहां ला नहीं सकते, लेकिन हम उन्हें दस्तावेजों के संबंध में पूरी मदद कर रहे हैं ताकि जैसे ही स्थित सुधरे और दूतावास काम करना शुरू करे तो उनके वीजा का काम पूरा हो जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम अफगानिस्तान के उन उम्मीदवारों के लिए प्रवेश प्रक्रिया खोल रहे हैं जो भारत आ सकते हैं, बशर्तें वे हमारी शर्त पूरी करें। ’’ आईआईटी मद्रास के भी तीन अफगान विद्यार्थी अफगानिस्तान में फंसे है। आईआईटी मद्रास के प्रवक्ता ने पीटीआई -भाषा से कहा, ‘‘ हमारे तीन विद्यार्थी अफगानिस्तान में फंसे हैं और आईआईटी मद्रास में वैश्विक सहभागिता कार्यालय ने उन्हें वीजा के वास्ते मदद पहुंचाने के लिए पत्र जारी किये हैं। विद्यार्थियों ने हमें सूचित किया है कि स्थिति बहुत कठिन है और वाणिज्य दूतावास पर लंबी लंबी कतारें लगी हैं। ...’’ आईआईटी बंबई ने भी अफगान विद्यार्थियों को परिसर आने की इजाजत दी है। वहीं, लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में पढ़ाई कर रहे अफगान छात्र नूर अली नूरी ने मंगलवार को कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों से हमारी रातों की नींद उड़ी हुई है। हमारे परिवार हालांकि अभी तक सुरक्षित हैं, लेकिन हमारे देश में हो रहे घटनाक्रमों के चलते बुरी तरह डरे हुए हैं।’’ उसने कहा कि तालिबान लोगों से अपना एजेंडा मनवाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करता रहा है। रविवार को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से कुछ देर पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद अफगानिस्तान का भविष्य अनिश्चितता की स्थिति में है। अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अफगान छात्रों ने अपने देश में शांति बहाली में मदद करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील भी की। पीएयू में पीएचडी कर रहे एक अन्य अफगान छात्र अहमद मुबाशेर ने कहा कि वह तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर चिंतित है। उसने कहा, ‘‘नि:संदेह, मुझे अपने परिवार, अपने भाई-बहन को लेकर चिंता है।’’ चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में 250 से अधिक अफगान छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इस विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे अफगानिस्तान के हेरात प्रांत निवासी रमीन ने विश्व के नेताओं से अपील की कि वे आगे आएं और उसके देश में शांति बहाली में मदद करें। वहीं, एक अन्य अफगान छात्र सुखरुल्ला ने कहा कि भारत में कोविड-19 के चलते शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से अनेक छात्र अफगानिस्तान में फंस गए हैं। उसने ऐसे छात्रों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए केंद्र से आवश्यक कदम उठाने की अपील की। पुणे में अफगान छात्र संघ के अनुसार, शहर में अलग-अलग संस्थानों में पड़ोसी देश के करीब 3,000 छात्र पढ़ रहे हैं। अफगान छात्र संघ, पुणे के अध्यक्ष वली रहमान रहमानी ने सोमवार को कहा, ‘‘कुछ छात्र हैं जो घर पर अपने परिवार से बात कर पाए लेकिन कई और भी हैं जो अपने माता-पिता और परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।’’ इस बीच, बेंगलुरु में पढ़ रहे कई अफगान छात्र भी काफी चिंतित हैं। बेंगलुरु के एक निजी कॉलेज में पढ़ रहे हारून ने कहा, ‘‘हम घर पर अपने परिवारों को लेकर बहुत फिक्रमंद हैं। हालात बहुत खराब हैं। मैं उन्हें फोन नहीं कर पाया हूं लेकिन जब मैंने इंटरनेट के जरिए बात की तो उन्होंने कहा कि वे सुरक्षित हैं।’’ शहर में पढ़ रहे कुछ अन्य अफगान छात्रों ने बताया कि उन्हें अपने परिजनों की चिंता है। एक छात्रा ने कहा कि अमेरिका के समर्थन वाली सरकार में पिछले कुछ वर्षों में हालात सुधरे थे लेकिन अब भी फिर से तालिबान का शासन आ गया है, स्थिति खराब होगी। उसने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि तालिबान महिलाओं पर कौन से नियम लागू करने जा रहा है। यह हमारे लिए चिंता की बात है।

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Web Title: Family concerns haunting Afghan students studying in India, also requested to extend the visa period

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