बिहार के 40वें राज्यपाल बने फागू चौहान, पिछले 10 साल में कोई पूरा नहीं कर सका कार्यकाल
By एस पी सिन्हा | Updated: July 29, 2019 15:27 IST2019-07-29T15:27:10+5:302019-07-29T15:27:10+5:30
फागू चौहान बिहार के 40वें राज्यपाल बन गये हैं. राज्य के हाल के दस वर्षों में नियुक्त एक भी राज्यपाल ने अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. 2003 से देखा जाये तो इन सोलह सालों में 14 राज्यपाल बदल दिये गये.

बिहार के 40वें राज्यपाल बने फागू चौहान, पिछले 10 साल में कोई पूरा नहीं कर सका कार्यकाल
पटना, 29 जुलाईः फागू चौहान बिहार के 40वें राज्यपाल बन गये हैं. राज्य के हाल के दस वर्षों में नियुक्त एक भी राज्यपाल ने अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. 2003 से देखा जाये तो इन सोलह सालों में 14 राज्यपाल बदल दिये गये. यही नही जिसने भी बिहार में उच्च शिक्षा में सुधार का प्रयास किया, वे जल्द हीं चलता कर दिये गये. इनमें आरएस गवई और लालजी टंडन का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है.
यहां उल्लेखनीय है कि एकमात्र देवानंद कुंअर और विनोद चन्द्र पांडे ऐसे राज्यपाल हुए, जिन्होंने अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा किया. जबकि महात्मा गांधी के परपोते गोपाल कृष्ण गांधी से मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी राज्यपाल के कार्यकाल की पूरी अवधि यहां नहीं बीता पाये. हालांकि, पिछले पंद्रह सालों में एक भी मौका ऐसा नहीं आया जब राजभवन और सरकार आमने-सामने खडी रही हो. बावजूद राज्यपालों ने बिहार में अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया.
2014 के बाद से केंद्र की भाजपा सरकार ने बिहार में पांच राज्यपालों की नियुक्ति की, वे सब यूपी के मूल निवासी रहे. खास यह कि 2004 से 2014 में नई सरकार बनने तक तत्कालीन कांग्रेसी सरकार ने बिहार में सात राज्यपाल नियुक्त किये. जबकि, 2014 के बाद से अब तक पांच सालों में बिहार ने छह राज्यपालों को देखा, जिसमें केसरीनाथ त्रिपाठी को दोबारा तीन महीने से अधिक समय तक कार्यवाहक राज्यपाल के रूप में भी कार्य करना पडा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के करीबी रहे लालजी टंडन को 23 अगस्त, 2018 को प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था.
इनके ठीक पहले यूपी से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल मलिक को चार सितंबर, 2017 को प्रदेश का राज्यपाल मनोनीत किया गया था. करीब 12 महीने बाद ही उन्हें यहां से हटा कर जम्मू और कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया. इनके पहले आये केसरी नाथ त्रिपाठी, जिन्हें दो बार प्रदेश के कार्यवाहक राज्यपाल रहने का अवसर मिला. कुल मिला कर करीब 13 महीने उनका कार्यकाल रहा. सबसे महत्वपूर्ण कार्यकाल वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का रहा. कोविंद 16 अगस्त, 2015 को बिहार के राज्यपाल बनाये गये.
राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिये जाने के कारण उन्होंने 21 जून, 2017 को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उनके पहले जून 2009 में डा. डीवाइ पाटिल प्रदेश के राज्यपाल बनाये गये. यह केंद्र के कांग्रेसी शासन का अंतिम समय था. पाटिल यहां करीब 20 महीना रहे और 26 नवंबर, 2014 तक प्रदेश के राज्यपाल रहे. कांग्रेसी शासनकाल में ही असम के देवानंद कुंअर भी राज्यपाल बनाये गये. उनका कार्यकाल साढे तीन साल से भी अधिक रहा. पंजाबी मूल के रघुनंदन लाल भाटिया को 10 जुलाई, 2008 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया. वे करीब 11 महीने यहां राज्यपाल रहे और 28 जून, 2009 को उनका तबादला हो गया.
वहीं, महाराष्ट्र के चर्चित नेता आरएस गवई को पचीस महीने बिहार के राज्यपाल रहने का अवसर मिला. उनकी नियुक्ति 22 जून, 2006 को हुई और नौ जुलाई, 2008 को बदल दिये गये. उन्होंने बिहार में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए अहम भूमिका निभानी शुरू हीं की थी कि बिहार से चलता कर दिये गये. गोपाल कृष्ण गांधी को 31 जनवरी, 2006 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था, लेकिन छह माह बाद ही उन्हें 21 जून को यहां से मुक्त कर दिया गया. जबकि पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री रहे बूटा सिंह 14 महीने, वेद प्रकाश मारवाह महज पांच दिन कार्यवाहक राज्यपाल रहे.
वहीं, एमआर जोएस 16 महीने और विनोद चन्द्र पांडे साढे तीन साल से अधिक दिनों तक प्रदेश के राज्यपाल रहे. वहीं विदाई के वक्त राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि बिहार के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल यादगार रहा. उन्होंने कहा कि वे यहां किसी भी विवाद में नहीं पडे और कोई विवाद छोड कर भी नहीं जा रहे हैं. राज्यपाल के रूप में हमने समाज के सभी वर्गों को राजभवन से जोडने का काम किया. उच्च शिक्षा में सुधार के उपाय किये गये. एकेडमिक कैलेंडर में सुधार, बीएड नामांकन प्रक्रिया और डिजिटाइजेशन के लिए कई कार्य किये गये. उन्होंने कहा कि देश एक है, जहां भी रहें, समाज के सभी वर्गों के लिए काम करते रहेंगे.