पश्चिम बंगाल के ' सेवानिवृत्त' मुख्य सचिव से जुड़े विवाद की व्याख्या

By भाषा | Updated: May 31, 2021 22:38 IST2021-05-31T22:38:57+5:302021-05-31T22:38:57+5:30

Explanation of the controversy related to the 'retired' Chief Secretary of West Bengal | पश्चिम बंगाल के ' सेवानिवृत्त' मुख्य सचिव से जुड़े विवाद की व्याख्या

पश्चिम बंगाल के ' सेवानिवृत्त' मुख्य सचिव से जुड़े विवाद की व्याख्या

नयी दिल्ली, 31 मई सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के अचानक दिल्ली तबादले से जुड़े विवाद और संबंधित नियमों का सार निम्नलिखित है:-

यदि अधिकारी डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) को रिपोर्ट नहीं करता है, तो क्या स्थिति होगी?

ऐसी स्थिति में, कार्मिक मंत्रालय संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। उनके जवाब पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी और मामला सुलझने के बाद ही पूरी पेंशन के लिए कार्रवाई की जाएगी।

आईएएस अधिकारियों पर लागू अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 में मामूली और सख्त सजा के लिए प्रावधान हैं, जो केंद्र द्वारा किसी अधिकारी पर लगाया जा सकता है।

नियमों के अनुसार मामूली दंड के तहत निंदा, पदोन्नति पर रोक, वेतन वृद्धि पर रोक और वेतनमान में कमी आदि शामिल हैं। सख्त सजा में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति और सेवा से निष्कासन आदि शामिल हैं।

कार्मिक और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है।

यह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन है और जितेंद्र सिंह मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं।

केंद्र के आदेश पर विवाद क्यों है ?

यह आदेश असामान्य है क्योंकि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए संबंधित अधिकारी या राज्य सरकार (या दोनों) की इच्छा की मांग को प्राथमिकता दी जाती है। इस मामले में न तो राज्य सरकार ने और न ही अधिकारी ने ऐसी इच्छा जतायी है।

केंद्र सरकार के कदम को लेकर सियासी प्रतिक्रियाओं के बीच विवाद खड़ा हो गया है। संबंधित अधिकारी को सेवा विस्तार कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा दिया गया था। लेकिन जिस तरह से इस फैसले को एक सप्ताह के भीतर और संबंधित अधिकारी की निर्धारित सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले पलटा गया, उस पर कई पक्षों ने आपत्ति जतायी है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया है और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर 28 मई के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। वह

आदेश अब तक रद्द नहीं किया गया है।

ममता ने घोषणा की कि बंदोपाध्याय सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं और उन्हें तीन साल के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है।

इस बीच, अधिकारी को फिर से डीओपीटी को मंगलवार को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।

इस संबंध में पूर्व आईएएस अधिकारी ईएएस सरमा का कहना है कि तकनीकी रूप से, आईएएस (कैडर) नियम के तहत निश्चित रूप से केंद्र को राज्य से आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की वापसी उचित आधार पर और जनहित के लिए होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस तरह का निर्णय लेते समय, केंद्र को राज्य के साथ सलाह करने की आवश्यकता होती है और असहमति की स्थिति में, केंद्र को असाधारण परिस्थितियों का हवाला देना चाहिए।

सरमा ने कहा कि उपलब्ध समाचार रिपोर्टों से ऐसा लगता है कि केंद्र ने ‘एकतरफा’ निर्णय लिया है।

उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा, "अगर ऐसा है तो केंद्र द्वारा जारी आदेश कानूनी कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा।"

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच के संबंध टकरावपूर्ण नहीं बल्कि सहयोगात्मक होने चाहिए।

वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में कार्य कर चुके सरमा ने कहा, "केंद्र को व्यक्तिगत अहंकार और संकीर्ण विचारों का शिकार नहीं होना चाहिए और उसे सहकारी संघवाद की भावना से समझौता नहीं करना चाहिए। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थितियां पैदा होंगी।"

आंध्र प्रदेश कैडर के 1965 बैच के आईएएस अधिकारी सरमा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Explanation of the controversy related to the 'retired' Chief Secretary of West Bengal

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे