भारत में विदेशियों के आक्रमण काल में रुक गया था आयुर्वेद का विस्तार, अब लौट रहे इसके अच्छे दिन: मोहन भागवत
By फहीम ख़ान | Published: November 13, 2022 10:32 AM2022-11-13T10:32:41+5:302022-11-13T10:32:41+5:30
मोहन भागवत ने कहा है कि अब एक बार फिर आयुर्वेद के अच्छे दिन लौट आए हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए व्यापक अनुसंधान करते हुए आयुर्वेद शास्त्र को संपन्न बनाना होगा.
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि आयुर्वेद एक समग्र पैथी है. भारतीय जनमानस का साथ मिलने से आयुर्वेद के अच्छे दिन लौट आए हैं. विश्व स्तर पर आयुर्वेद को पहचान, मान्यता और अधिकार दिलाने के लिए शुद्ध रूप से आयुर्वेद चिकित्सा की प्रैक्टिस करनी होगी. भारत में विदेशियों के आक्रमण काल में आयुर्वेद का विस्तार रुक गया. अब आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए व्यापक अनुसंधान करते हुए आयुर्वेद शास्त्र को संपन्न बनाना होगा.
वे सुरेश भट सभागृह में आयुर्वेद व्यासपीठ की रजत जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित आयुर्वेद पर्व के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे. इस दौरान केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, इंडियन मेडिकल काउंसिल के जयंत देवपुजारी, संस्थापक अध्यक्ष विनय वेलणकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनी गोखले, उपाध्यक्ष शिरीष पेंडसे, आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा, पूर्व अध्यक्ष संतोष नेवापुरकर आदि उपस्थित थे. केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से तीन दिवसीय चर्चासत्र का भी आयोजन किया गया है.
कोई पैथी गलत नहीं: मोहन भागवत
डॉ. भागवत ने कहा कि चाहे आयुर्वेद हो, चाहे एलोपैथी कोई भी गलत नहीं है पर पैथियों के अहंकार की वजह से टकराव की स्थिति बनती है. बुनियादी मूल्यों को सहेजते हुए सस्ते उपचार पर जोर देना होगा. आधुनिक विज्ञान में कोशिका, जीन तक के अध्ययन होने लगे हैं. उसी तर्ज पर आयुर्वेद में भी रिसर्च पर जोर देना होगा. तभी आयुर्वेद को उच्च स्थान प्राप्त होगा.
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि जिन गुणों के भरोसे आयुर्वेद को आज जनता और शासन ने स्वीकारा है. उसे टिकाए रखने के लिए उतनी ही तत्परता से आगे काम करना होगा. आयुर्वेद को ऋषि-मुनियों ने बड़ी मेहनत से खोजा है. शास्त्र का रूप दिया है. शास्त्र के ज्ञान का विस्तार करके ही विश्व स्तर पर आयुर्वेद को पहचान दिलाई जा सकेगी. आयुर्वेद सस्ती और सुलभ चिकित्सा पद्धति है.
सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि आयुर्वेद पूर्वजों की परंपरा है. उन्हें विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए आयुष मंत्रालय प्रयासरत है. योग को जिस तरीके से विश्व ने स्वीकारा, उसी तरीके से आयुर्वेद को भी वैश्विक मान्यता मिलेगी. आज डब्ल्यूएचओ ने आयुर्वेद को पारंपरिक चिकित्सा पद्धति मान लिया है, जो कि अभिमान की बात है.
प्रमोद सावंत ने कहा कि हर राज्य में आयुर्वेद व्यासपीठ की शाखा को मान्यता मिले, इसके लिए प्रयास होने चाहिए. प्रास्ताविक भाषण राष्ट्रीय अध्यक्ष रजनी गोखले ने दिया. 9 आयुर्वेदिक ग्रंथों का विमोचन अतिथियों के हाथों हुआ.