खतरे में है शेरशाह सूरी के जमाने में बनी कोस मीनारों का अस्तित्व

By बलवंत तक्षक | Published: January 14, 2019 02:10 PM2019-01-14T14:10:36+5:302019-01-14T14:10:36+5:30

अपने पांच साल के शासनकाल 1540-45 तक शेरशाह सूरी ने ग्रेंड ट्रंक रोड पर पश्चिम बंगाल से पंजाब बॉर्डर तक कोस मीनारों का निर्माण करवाया था.

existence of kos minarets built in the era of Sher Shah Suri | खतरे में है शेरशाह सूरी के जमाने में बनी कोस मीनारों का अस्तित्व

फाइल फोटो

चंडीगढ़ में कोस मीनारों की अनदेखी हो रही है. यही कोस मीनारें कभी राजा-महाराजाओं को रास्ता दिखाती रही हैं. शेरशाह सूरी के जमाने में बनीं इन कोस मीनारों की हालत लगातार खराब होती जा रही है. पुरातत्व विभाग ने अगर गंभीरता नहीं दिखाई तो बदहाली का शिकार इन कोस मीनारों का अस्तित्व आने वाले समय में खतरे में पड़ जाएगा.

अपने पांच साल के शासनकाल 1540-45 तक शेरशाह सूरी ने ग्रेंड ट्रंक रोड पर पश्चिम बंगाल से पंजाब बॉर्डर तक कोस मीनारों का निर्माण करवाया था. सैनिकों और राहगीरों के लिए दिशा सूचक का काम करने वाली एक कोस मीनार करीब सवा तीन किलोमीटर की दूरी पर बनवाई गई थी.

उस जमाने में करीब तीन कोस या दो मील की दूरी पर एक कोस मीनार का निर्माण करवाया गया था. तब कोस को ही दूरी मापने का पैमाना माना जाता था. दिल्ली से पंजाब जाने वाले ग्रेंड ट्रंक रोड पर हरियाणा के पानीपत में पांच कोस मीनारें हैं, लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते वे अपना वजूद खो रही हैं.

कोस मीनारों के ईद-गिर्द अतिक्र मण बढ़ रहा है. उनके चरों तरफ जंगली घास खड़ी हो गई है. हालांकि, इन कोस मीनारों को प्राचीन स्मारक घोषित किया जा चुका है. इनके एक सौ मिटर की परिधि में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक है और अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ डिप्टी कमिश्नर को कार्रवाई के पूरे अधिकार हैं. लेकिन पुरातत्व विभाग के साथ जिला प्रशासन का रु ख भी इस दिशा में उदासीन है.

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