एक्सक्लूसिव: दिल्ली में पहली बार कैमिकल बारिश की तैयारी, वायु प्रदूषण से मिलेगी दिल्लीवासियों को राहत
By संतोष ठाकुर | Published: November 5, 2019 07:31 AM2019-11-05T07:31:14+5:302019-11-05T07:31:14+5:30
मोदी सरकार सरकार ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि वह यह बताएं कि उन्हें दिए गए 1151 करोड़ रुपए कहां गए.
दिल्ली में धूल, धुएं और प्रदूषण की चादर हटाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय पहली बार कैमिकल के उपयोग की तैयारी कर रहा है. दिल्ली-एनसीआर में पहली बार डस्ट सेपरेशन को लेकर कदम उठाने की मशक्कत शुरू कर दी गई है. इसकी वजह बताते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर धूल और धुएं की परत हटाने के लिए पानी की बौछार मारने का कार्य किया जाता है, लेकिन इस कवायद से केवल आधे घंटे की राहत मिलती है. वहीं, डस्ट सेपरेशन से करीब छह घंटे तक की राहत मिलेगी.
कहां गए 1151 करोड़ रुपए
केंद्र सरकार ने हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि वह यह बताएं कि उन्हें दिए गए 1151 करोड़ रुपए कहां गए. हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान अपने खेत में पराली न जलाएं इसके लिए केंद्र सरकार ने इन राज्यों को 1151 करोड़ रुपए दिए थे. इसके साथ ही पिछले साल करीब 50 हजार तो उससे पिछले साल 40 हजार ऐसी मशीन दी गई थी जिससे खेत में ही पराली को दबाकर-नष्ट करके बिना प्रदूषण फैलाए उनका फिर से खेती के लिए उपयोग किया जा सके. केंद्र ने पूछा है कि यह मशीन कहां गईं. इनका उपयोग कहां पर हो रहा है.
अधिकारियों की छुट्टी ने बढ़ाई मुसीबत
पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हरियाणा-पंजाब में दीवाली के दौरान पराली जलाने पर निगरानी करने वाले अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में छुट्टी पर चले गए, जिससे निगरानी न्यूनतम हो गई और इसी के चलते दिल्ली पर धूल और धुएं के बादल छा गए. मंत्रालय के अनुसार पिछले चार साल में दिल्ली की आबो-हवा में सुधार हुआ है. यहां पर हवा की स्थिति अच्छी से बेहतर हो रही थी.
दिवाली से चार दिन पहले तक साल में ऐसे 175 दिन चिह्नित किए गए थे, जबकि उससे पिछले साल यह संख्या 154 दिन थी. वहीं, वर्ष 2016 में ऐसे दिन की संख्या केवल 108 थी. इन उपायों पर जोर पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को तीन अल्पकालिक उपाय पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है.
पहला, पराली जलाने पर शत-प्रतिशत रोक लगाएं. दूसरा, म्युनिसिपल और अन्य जैविक कूड़ा जलाने पर पूरी रोक लगाएं और तीसरा, मकान निर्माण और तोड़फोड़ तुरंत प्रतिबंधित करें. दीर्घकालिक उपाय की बात करें तो लैंडफील साइट पर धूल-मिट्टी उड़ने को पूरी तरह से रोका जाए, कोयला-डीजल जनरेटर सेट के उपयोग को न्यूनतम किया जाए और वाहनों का प्रदूषण भी रोका जाए.