आबकारी नीति केस: मनीष सिसोदिया को राहत नहीं, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की
By शिवेंद्र कुमार राय | Updated: March 31, 2023 16:29 IST2023-03-31T16:27:58+5:302023-03-31T16:29:46+5:30
सिसोदिया पर फिलहाल ईडी और सीबीआई दोनों की जांच चल रही है। इस मामले में सुनवाई 24 मार्च को हुई थी। राउज एवेन्यू कोर्ट के न्यायाधीश एमके नागपाल ने आदेश सुनाने की तारीख 31 मार्च तय की थी।

दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को अदालत से एक बार फिर राहत नहीं मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की खारिज कर दी है। शुक्रवार को सीबीआई की तरफ से दर्ज मामले में अदालत ने ये फैसला सुनाया। हालांकि सिसोदिया के वकील की तरफ से कहा गया है कि इस फैसले के खिलाफ वह हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
Delhi Special Court dismisses bail plea of Delhi's former Deputy Chief Minister Manish Sisodia, in CBI case pertaining to alleged irregularities in the framing and implementation of the excise policy of GNCTD.
— ANI (@ANI) March 31, 2023
(File photo) pic.twitter.com/tsbxOYDofN
बता दें कि इससे पहले भी मनीष सिसोदिया को जमानत के मामले में अदालत से झटका लग चुका है। सिसोदिया पर फिलहाल ईडी और सीबीआई दोनों की जांच चल रही है। इस मामले में सुनवाई 24 मार्च को हुई थी। राउज एवेन्यू कोर्ट के न्यायाधीश एमके नागपाल ने आदेश सुनाने की तारीख 31 मार्च तय की थी।
पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने मामले में सभी दलीलें और तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए थे। आबकारी नीति घोटाले मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर दर्ज ईडी के मामले में कोर्ट ने उन्हें 22 मार्च से 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ऐसे में उन्हें 5 अप्रैल तक दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में रहना होगा। बता दें कि मनीष सिसोदिया की कथित शराब नीति घोटाले में 26 फरवरी को गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें 9 मार्च को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
सिसोदिया पर आरोप है कि वह सारे घोटाले के मास्टरमाइंड थे। ब्लेकलिस्टेड फर्म इंडोस्प्रिट को लाइसेंस दिया गया क्योंकि सिसोदिया उसको शामिल करने की पुरजोर वकालत कर रहे थे। उनकी लाबिंग के बाद इस फर्म को आखिरकार लाइसेंस दे दिया गया। जांच कर रही सीबीआई की तरफ से पिछली सुनवाई के दौरान ये भी कहा गया थ कि मनीष सिसोदिया द्वारा बार-बार फोन बदला जाना कोई मासूम कर्म नहीं, बल्कि यह साक्ष्य मिटाने के लिए किया गया था।