MP Politics: एमपी में लोकसभा की 29 सीटों पर बिगड़े समीकरण,नफा-नुकसान किसका?
By अनुराग.श्रीवास्तव@लोकमत.इन | Updated: December 30, 2023 16:40 IST2023-12-30T16:36:45+5:302023-12-30T16:40:26+5:30
मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। चुनौती चुनाव से पहले उम्मीदवारों के चयन का है। 2019 में चुनाव लड़े नेताओं ने इस बार चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को ना कह दिया या मौन धारण कर लिया है।

MP Politics: एमपी में लोकसभा की 29 सीटों पर बिगड़े समीकरण,नफा-नुकसान किसका?
एमपी चुनाव में बिगड़े सियासी गणित
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव की तैयारी है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती 29 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार का चयन है। चुनौती इस बात की है कि कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे रहे नेताओं ने इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है या मौन धारण कर लिया है। एमपी में एंटी इनकमबेंसी के बावजूद कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटों पर संतोष करना पड़ा। और अब पार्टी के बड़े नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार और कुछ ने खामोशी रख ली है। कांग्रेस के बड़े नेता अरुण यादव ने पार्टी को चुनाव लड़ने से मना कर दिया है अरुण यादव इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं दिग्विजय से जब चुनाव लड़ने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने मौन धारण कर लिया।
बीजेपी में हारे नेताओं को 2024 में टिकट की आस
वही इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई दिग्गज भी चुनाव हार गए। लेकिन अब उनको बदले माहौल में लोकसभा के चुनाव में अपनी जीत नजर आ रही है और यही वजह है कि ऐसे नेता अब पार्टी नेताओं से चुनाव लड़ने की इच्छा जाता रहे है। बीजेपी में इस बार इमरती देवी, नरोत्तम मिश्रा, लाल सिंह आर्य, सांसद गणेश सिंह केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते चुनाव हार गए और अब यह लोकसभा की दावेदारी करते नजर आ रहे हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के कारण कांग्रेस को 29 लोकसभा सीटों में से एकमात्र छिंदवाड़ा सीट हासिल हुई थी। पार्टी को उम्मीद थी कि 2023 के चुनाव में प्रदर्शन सुधार तो लोकसभा में भी अच्छा प्रदर्शन होगा। लेकिन बीजेपी की मजबूती ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है और इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी ।