गिरफ्तारी के बाद गौतम नवलखा ने जारी किया बयान, लिखा- 40 बरस में कई मुकदमे रिपोर्ट किए, अब खुद राजनीतिक मुकदमे का तमाशबीन बनूँगा
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 29, 2018 02:12 PM2018-08-29T14:12:11+5:302018-08-29T21:11:05+5:30
महाराष्ट्र पुलिस ने जनवरी 2018 में भीमा कोरेगाँव हिंसा से जुड़े मामले में मंगलवार को देश के छह शहरों में कम से कम 10 बुद्धीजिवियों के घर पर छापे मारे। पुलिस ने मीडिया से कहा कि वो और लोगों के घर पर छापा मार सकती है।
नई दिल्ली, 29 अगस्त: सामाजिक कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू पत्रिका के पूर्व सलाहकार सम्पादक गौतम नवलखा ने मंगलवार (28 अगस्त) को पुणे पुलिस द्वारा गिफ्तार किये जाने के बाद एक बयान जारी किया है।
गौतम नवलखा ने अपने बयान में कहा है कि सरकार बदले की भावना से उनकी खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
नवलखा ने आरोप लगाया है कि सरकार भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के असली दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है।
महाराष्ट्र पुलिस ने जनवरी 2018 में हुए भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में मंगलवार को देश के अलग-अलग सात शहरों में कम से कम 10 बुद्धिजीवियों के घरों पर छापे मारे।
छापेमारी के अलावा महाराष्ट्र पुलिस ने पाँच बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जिनमें नवलखा भी शामिल हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को नवलखा की ट्रांजिट रिमाण्ड पर बुधवार को सुनवाई होने तक रोक लगा दी थी।
महाराष्ट्र पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से नवलखा के अलावा अरुण परेरिया, वरनन गोनसॉल्विस, वरवर राव और सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस तेलुगु कवि वरवरा राव, अरुण परेरिया और वरनन गोनसॉल्विस को बुधवार को पुणे की स्थानीय अदालत में पेश कर सकती है।
गौतम नवलखा का बयान
यह पूरा मामला बदलाखोर सरकार द्वारा रानजीतिक विरोधियों के खिलाफ की गयी राजनीतिक साजिश है। यह सरकार भीमा कोरेगाँव के असली गुनहगारों को बचाने में लगी हुई है। इस मुकदमे की आड़ में सरकार कश्मीर से लेकर तक फैले हुए अपने घोटाले और विफलताएँ छिपाना चाहती है। एक राजनीतिक मुकदमे का सामना राजनीतिक तरीके से ही किया जाना चाहिए और मैं इस मौके का स्वागत करता हूँ। मुझे इस मामले में कुछ नहीं करना है, अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर चल रही महाराष्ट्र पुलिस को मेरे साथ गिरफ्तार हुए सभी साथियों पर लगाए गये आरोपों को साबित करे। हमने पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (पीयूडीआर) में रहते हुए पिछले 40 सालों में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए कई लड़ाइयों एक साथ मिलकर लड़ी हैं और कई अदालती मुकदमों कलमबंद किये हैं। और अब मैं ख़ुद ऐसे ही एक राजनीतिक मुक़दमे का तमाशबीन बनूँगा।
तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
ये ग़म के और चार दिन सितम के और चार दिन
ये दिन भी जाएंगे गुजर
गुज़र गये हज़ार दिन
तू जिन्दा है तो...
गौतम नवलखा
29 अगस्त, 2018 नई दिल्ली
प्रमुख बुद्धिजीवी पहुँचे सुप्रीम कोर्ट
देश के प्रमुख शहरों में बुद्धिजीवियों की गिरफ्तार के खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, सतीश देशपाण्डे, देवकी जैन और मजा दारूवाला ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
याचिका में भीमा कोरेगाँव मामले में गिरफ्तार किये गये बुद्धिजीवियों को मामले की जाँच पूरी होने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अपील की गयी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ बुधवार दोपहर बाद 3.45 बजे इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
थापर और अन्य बुद्धिजीवियों की याचिका सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने पेश की।
महाराष्ट्र पुलिस की छापेमारी
महाराष्ट्र पुलिस ने पुणे में दर्ज भीमा कोरेगाँव हिंसा से जुड़े मामले में देश के छह शहरों में कम से कम 10 बुद्धिजीवियों के घर पर छापे मारे।
पुणे पुलिस के पास गौतम नवलखा को 30 अगस्त तक ट्रांजिट रिमाण्ड पर रखने का आदेश था जिसके खिलाफ नवलखा ने मंगलवार को हाई कोर्ट ने अपील की थी।
नवलखा के अलावा महाराष्ट्र पुलिस ने गोवा में प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, रांची में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण परेरा, सुजैन अब्राहम, वर्नन गोनसाल्विस, हैदराबाद में माओवाद समर्थक कवि वरवर राव, वरवर राव की बेटी अनला, पत्रकार कुरमानथ और फरीदाबाद में सुधा भारद्वाज के घर पर छापा मारा।
समाचार एजेंसी पीटीआई को महाराष्ट्र पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद राव, भारद्वाज, फरेरा, गोन्साल्विज और नवलखा को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह धारा विभिन्न समुदायों के बीच धर्म, नस्ल, स्थान या जन्म, आवास, भाषा के आधार पर वैमनस्यता बढ़ाने और सद्भावना को बनाए रखने के लिए नुकसानदेह कृत्य करने से संबंधित है।
बिना विस्तृत जानकारी देते हुये पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किये गये लोगों के खिलाफ उनकी ‘कथित नक्सल गतिविधियों’ के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम सहित आईपीसी की कुछ अन्य धाराएं भी लगाई गयी हैं।
पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित यलगार परिषद कार्यक्रम के सिलसिले में मुंबई, नागपुर और दिल्ली से जून में माओवादियों से कथित तौर पर करीब संबंध रखने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कार्यक्रम के बाद पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा शुरू हो गयी थी।
कार्यक्रम के बाद पुणे के विश्रामबाग थाने में एफआईआर दर्ज की गयी जिसमें यलगार परिषद कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने और उसकी वजह से भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़कने का आरोप है।