दिल्ली: हवा में घुल रहा है 'जहर', ISRO के सैटेलाइट सेंटर समेत 10 संस्थानों में मची हड़बड़ी
By धीरज पाल | Published: June 26, 2018 02:33 PM2018-06-26T14:33:44+5:302018-06-26T14:33:44+5:30
पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए विशेषज्ञ संस्थानों के साथ बैठेक की है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में गिरती वायु गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक विशेषज्ञ की समिति का गठन किया जाएगा।
नई दिल्ली, 26 जून: पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए विशेषज्ञ संस्थानों के साथ बैठेक की है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में गिरती वायु गुणवत्ता में सुधार और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक विशेषज्ञ की समिति का गठन किया जाएगा जो सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के माध्यम से हवा की गुणवत्ता को सुधारने और वायु पदुषण कम किया जाएगा। मालूम हो कि प्रत्येक साल सर्दियों में देश की राजधानी में स्मॉग हवा की गुणवत्ता का कारण बनता है जिससे खतरनाक स्तर तक प्रदूषष बढ़ जाता है।
इस बैठक में प्रदुषण मंत्रालय के साथ विशेषज्ञ संस्थानों में इसरो का सेटेलाइट एप्लीकेशन सेंटर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), वैज्ञानिक तथा अनुसंधान परिषद संस्थान-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला-(सीएसआईआर-एनपीएल), आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनइईआरआई), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (आईआईटीएम) तथा भारतीय मानक ब्यूरो(बीआईएस) हिस्सा लिया।
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बैठक में पीएम 2.5 के आंकलन के लिए उपग्रह आधारित एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ (एओडी) डाटा के उपयोग और आरंभिक चेतावनी प्रणाली की मदद से प्रदूषणरोधी एजेंसियों और जनता को सूचित करने की कार्ययोजना तय की गयी। इसके अलावा वायु गुणवत्ता उत्सर्जन निगरानी उपकरणों के प्रमाणीकरण की व्यवस्था तय करने पर चर्चा की गई। इससे वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाले उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
बैठक में तय किया गया कि सर्दी से पहले डीएसटी संभावित वायु प्रदूषण का तकनीक की मदद से आकलन कर अग्रणी कार्रवाई करेगा। डीएसटी को दो सप्ताह में अपने मूल्यांकनों के परिणाम देने होंगे ताकि पायलट कार्य तेजी से शुरू किया जा सके। इसके अलावा एक विशेषज्ञ समूह बनाया जाएगा जो प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर एक महीने में अपनी सिफारिशें देगा।
चेतावनी प्रणाली में प्रोटोकॉल का प्रसार तथा वायु गुणवत्ता सूचना और प्रबंधन में सुधार के लिए सेटेलाइट आधारित मापन का उपयोग किया जायेगा। मंत्रालय ने राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को वायु गुणवत्ता मापन उपकरणों के लिए प्रमाणीकरण एजेंसी नियत किया है। इससे फलस्वरूप पीएम 2.5 और पीएम 10 के प्रमाणीकरण का काम इस साल सितंबर से शुरू हो सकेगा।