प्रवर्तन निदेशालय के ढोल में पोल, 14 साल में केवल 15 मामलों में ही सजा दिलवा पाया ईडी
By हरीश गुप्ता | Published: November 6, 2020 07:14 AM2020-11-06T07:14:48+5:302020-11-06T07:35:00+5:30
साल 2005 के बाद ईडी को असीमित अधिकार मिल गए. हाल के वर्षों में कई बड़े नाम ईडी की जद में आए हालांकि बहुत कम मामलों को एजेंसी परिणति तक लाने में कामयाब रही.
नई दिल्ली: 19वीं सदी के शायर ख्वाजा हैदर अली आतिश का शे'र है, ''बहुत शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो कतरा ए खून न निकला...'' यह शेर देश में धन के अवैध लेनदेन की जांच करने वाली शीर्ष एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर मुफीद बैठता है. ईडी अक्सर पूरे देश में भारीभरकम छापों की वजह से चर्चा में रहता है.
2005 में धनशोधन कानून बनने के बाद ईडी को असीमित अधिकार मिल गए. हाल ये है कि जिसको देखो, वही ईडी की जद में है. चाहे वह रॉबर्ट वाड्रा हों या भूपिंदर सिंह हूडा या पी. चिदंबरम, अगुस्ता वेस्टलैंड, डी.के. शिवकुमार, वीडियोकॉन, आईसीआईसीआई बैंक, विजय माल्या, आईएनएक्स मीडिया, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, फारूक अब्दुल्ला या कई और... लेकिन, ईडी कितने मामलों को परिणति तक ले जा पाया?
ईडी का पिछले 14 सालों का रिकॉर्ड
'लोकमत समाचार' को आधिकारिक सूत्रों से मिले आंकड़ों के मुताबिक ईडी पिछले 14 सालों में महज 15 मामलों में अभियुक्तों को सजा दिलवा पाया है. पिछले 14 सालों (2005-2009) में ईडी ने धनशोधन के 2300 मामले और विदेशी मुद्रा नियमोल्लंघन के 14,000 मामले दर्ज किए.
इस दौरान उसने 1003 मामलों में छापे मारे और धनशोधन के 1241 मामलों में जांच पूरी कर ली. पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के 10 सालों के मुकाबले पिछले 6 सालों में ईडी के छापों में भारी बढ़ोतरी हुई. ईडी ने 2012 में महज 99 छापे मारे थे, जबकि 2019 में 171 मामलों में 670 छापे मारे. लेकिन, मोदी राज के छह सालों में वह केवल 9 मामलों में ही सजा दिलवाने में कामयाब हो पाया.
पूर्व ईडी निदेशक करनाल सिंह यह बताते हुए क्षोभ से भर जाते हैं कि ईडी अधिकारियों को उच्च स्तर की पेशेवर निपुणता और बेहतर प्रशिक्षण क्यों जरूरी है. इन हालात की एक वजह यह भी है कि ईडी में 55% पद रिक्त हैं और वह 45% कर्मियों से ही काम चला रहा है. ईडी में 2000 पदों की मंजूरी है और सिर्फ 1100 ही फिलहाल भरे हुए हैं.
वर्ष | पीएमएल मामले प्रारंभ | जांच पूरी धनशोधन | सजा धनशोधन |
2014-15 | 178 | 342 | 0 |
2015-16 | 111 | 209 | 0 |
2016-17 | 200 | 212 | 2 |
2017-18 | 148 | 215 | 2 |
2018-19 | 195 | 239 | 4 |
2019-20 | 171 | 24* | 1 |
कुल | 1003 | 1241 | 9 |
(जनवरी 2020 तक) स्रोत : वित्त मंत्रालय