ऐल्गार मामले : तकनीकी खामी के कारण जमानत नहीं पाने वाले आठ कार्यकर्ता अदालत से फैसले की समीक्षा का अनुरोध करेंगे

By भाषा | Updated: December 23, 2021 17:23 IST2021-12-23T17:23:33+5:302021-12-23T17:23:33+5:30

Elgar case: Eight activists not granted bail due to technical snag, will request court to review the verdict | ऐल्गार मामले : तकनीकी खामी के कारण जमानत नहीं पाने वाले आठ कार्यकर्ता अदालत से फैसले की समीक्षा का अनुरोध करेंगे

ऐल्गार मामले : तकनीकी खामी के कारण जमानत नहीं पाने वाले आठ कार्यकर्ता अदालत से फैसले की समीक्षा का अनुरोध करेंगे

मुंबई, 23 दिसंबर ऐल्गार-परिषद माओवादी मामले में आरोपी जिन आठ कार्यकर्ताओं को बंबई उच्च न्यायालय ने इस महीने की शुरूआत में तकनीकी खामी के आधार पर जमानत देने से इंकार कर दिया था, उन्होंने बृहस्पतिवार को अदालत से कहा कि वे ‘तथ्यात्मक गलती’ के आधार पर सुनाए गए फैसले पर फिर से विचार के लिए याचिका दायर करेंगे।

आरोपी कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों सुधीर दावले, डॉक्टर पी. वरवर राव, रोना विल्सन, अधिवक्त सुरेन्द्र गाडलिंग, प्रोफेसर सोमा सेन, महेश राउत, वेर्नन गोंजाल्वेस और अरुण फेरेरा ने इस सप्ताह की शुरूआत में ‘स्पीकिंग ऑफ मिनट्स’ की अर्जी दी थी। यह आवेदन किसी अदालत के फैसले में मामूली सुधार का अनुरोध करने के लिए दिया जाता है।

न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन. जे. जामदार ने बृहस्पतिवार को कहा कि अदालत किसी भी पक्ष द्वारा किए गए दावों को स्वीकार या अस्वीकार करते हुए आदेश पारित नहीं कर सकती है या गुण-दोष के आधार पर दलीलें नहीं सुन सकती है क्योंकि आरोपी ने ‘स्पीकिंग ऑफ मिनट्स’ आवेदन दिया हुआ है।

आरोपियों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप पासबोला ने पीठ को बताया कि आरोपी ‘स्पीकिंग ऑफ मिनट्स’ का आवेदन वापस लेंगे और उच्च न्यायालय के आदेश की समीक्षा का अनुरोध करते हुए नयी अर्जी देंगे।

पासबोला ने कहा कि आरोपी क्रिसमस की छुट्टियों के बाद उच्च न्यायालय के फिर से खुलने पर जनवरी, 2022 में ताजा याचिका/याचिकाएं दायर करेंगे।

इसपर पीठ ने कहा कि वह आरोपी को समीक्षा याचिका दायर करने के लिए कोई छूट या विशेष अनुमति नहीं दे रही है। अदालत ने कहा कि लेकिन, अगर कानून के तहत तय प्रक्रिया के अनुरुप वे समीक्षा याचिका दायर करने के पात्र हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं।

इस साल एक दिसंबर को न्यायमूर्ति शिंदे और न्यायमूर्ति जामदार की पीठ ने ऐल्गार परिषद मामले में ही आरोपी सुधा भारद्वाज को जमानत दी थी।

हालांकि, पीठ ने मामले के आठ अन्य आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि इन आठ व्यक्तियों ने समय रहते तकनीकी खामी के आधार पर जमानत प्राप्त करने के अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया था जबकि भारद्वाज ने आरोप पत्र दाखिल करने की 90 दिन की अवधि समाप्त होते ही पुणे की अदालत में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

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Web Title: Elgar case: Eight activists not granted bail due to technical snag, will request court to review the verdict

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