Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट एसबीआई की याचिका पर आज करेगा सुनवाई, बैंक ने चुनावी चंदे की जानकारी देने के लिए मांगा है और वक्त, एडीआर ने किया है विरोध

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 11, 2024 08:26 AM2024-03-11T08:26:37+5:302024-03-11T08:33:43+5:30

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एसबीआई की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें बैंक द्वारा चुनाव आयोग को चुनावी बांड पर जानकारी जमा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की गई है

Electoral Bonds: Supreme Court will hear SBI's petition today, the bank has asked for more time to provide information about election donations, ADR has protested | Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट एसबीआई की याचिका पर आज करेगा सुनवाई, बैंक ने चुनावी चंदे की जानकारी देने के लिए मांगा है और वक्त, एडीआर ने किया है विरोध

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट सोमवार को चुनावी बांड मसले पर एसबीआई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करेगाएसबीआई ने चुनाव आयोग को चुनावी बांड की जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक समय मांगा हैचीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ आज इस मामले की सुनवाई करेगी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें बैंक द्वारा चुनाव आयोग को चुनावी बांड पर जानकारी जमा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की गई है। एसबीआई की ओर से दायर की गई अपील पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज सुबह करीब 10:30 बजे इस मामले की सुनवाई करेगी।

समाचार वेबसाइट बिजनेस टुडे के अनुसार सूप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की इसी मामले में दायर एक अलग याचिका पर अलग से सुनवाई करेगी, जिसमें शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन करने में विफल रहने के लिए एसबीआई के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्रवाई की मांग की गई है।

इससे पहले बीते 4 मार्च को एसबीआई ने शीर्ष अदालत से समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने के लिए कहा था और उसने तर्क दिया था कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जानकारी इकट्ठा करने में समय लगेगा और चूंकि चुनावी बांड की जानकारी गुप्त रखी जाती है। इस कारण से मामले की जानकारी जुटाने में जटिलताएं आ रही हैं। बैंत के अनुसार 2019 से 2024 तक अलग-अलग राजनीतिक दलों को चंदा देने में कुल 22,217 चुनावी बांडों का उपयोग किया गया है।

वहीं एडीआर की याचिका में आरोप लगाया गया है कि एसबीआई ने 6 मार्च तक चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को किए गए योगदान का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की "जानबूझकर" अवहेलना की है।

एडीआर की ओर दायर अवमानना याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता इस अदालत द्वारा पारित 15 फरवरी के आदेश की जानबूझकर और जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए यह याचिका दायर कर रहा है। जिसमें इस अदालत ने एसबीआई को 6 मार्च तक राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा था।“

मालूम हो कि बीते 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले चुनावी बांड योजना को "असंवैधानिक" करार दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह योजना बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार और सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई को आदेश दिया था कि वो अप्रैल 2019 से भुनाए गए सभी चुनावी बांडों का विवरण 6 मार्च तक चुनाव आयोग को प्रदान करे और अन्य सभी बैंक आगे से कोई भी चुनावी बांड नहीं जारी करेंगे।

अदालत ने अपने फैसले में कहा था, "काले धन पर अंकुश लगाना और दानदाताओं की गुमनामी सुनिश्चित करना चुनावी बांड का बचाव करने या राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता का आधार नहीं हो सकता है।"

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में चुनाव आयोग को कहा था कि वो चुनावी बांड से संबंधित एसबीआई से मिली जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करेगा और जो बांड अभी तक भुनाए नहीं गए हैं, उन्हें वापस कर दिया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, "चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदान के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्यों के लिए है।"

भारत सरकार ने साल 2018 में गुमनाम राजनीतिक चंदे की सुविधा के लिए चुनावी बांड पेश किया था। ये चुनावी बांड एसबीआई की अधिकृत शाखाओं के माध्यम से जारी किए गए ब्याज मुक्त बांड होते हैं। बैंक में यह बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये के गुणकों में उपलब्ध होते थे।

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