निर्वाचन आयोग का कड़ा रुख, चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस में तनातनी, चुनाव चिह्न 'बांग्ला' जब्त
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 2, 2021 03:42 PM2021-10-02T15:42:56+5:302021-10-02T15:46:17+5:30
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के एक धड़े का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं और दूसरे धड़े का नेतृत्व उनके चाचा और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पारस कर रहे हैं।
नई दिल्लीः चिराग पासवान और उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुटों के बीच तनातनी के बीच निर्वाचन आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के चुनाव चिह्न पर रोक लगा दी है।
लोजपा के दोनों धड़ों ने आयोग में चुनाव चिह्न 'बांग्ला' (हाउस) पर दावा किया था। बिहार की दो विधानसभा उपचुनाव सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है। चिराग पासवान ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के कार्यालय का दौरा किया था और मांग की थी कि पार्टी का चुनाव चिह्न उनकी पार्टी के पास बना रहे।
ECI says "neither of the two groups of Paswan or Chirag will be permitted to use the symbol LJP"; asks both groups to chose, as an interim measure, the names of their groups & the "symbols which may be allotted to the candidates set up, if any, by the respective groups"
— ANI (@ANI) October 2, 2021
लोजपा के एक धड़े का नेतृत्व पासवान कर रहे हैं और दूसरे धड़े का नेतृत्व उनके चाचा और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पारस कर रहे हैं। लोजपा में संकट तब शुरू हुआ, जब इस साल जून में पांच सांसद पासवान से पारस के पास चले गए। बाद में, पशुपति पारस ने पटना में खुद को पार्टी अध्यक्ष घोषित किया। दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे पशुपति कुमार पारस और चिराग के बीच पार्टी की विरासत की विरासत को लेकर विवाद है।