नई दिल्लीः जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि ईद सोमवार को मनाएंगे। शनिवार को चांद नहीं दिखा है।
दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि 25 मई को मनाएंगे, क्योंकि आज चांद नहीं देखा गया। यह महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी बरतें और सोशल डिस्टेंशिंग बनाए रखें। हमें हाथ मिलाने और गले मिलने से दूर रहना चाहिए। हमें सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
दिल्ली समेत देश के अलग अलग हिस्सों में सोमवार को ईद मनाई जाएगी और रविवार को आखिरी रोज़ा होगा। दिल्ली की दो ऐतिहासिक मस्जिदों के शाही इमामों ने ऐलान किया कि शनिवार को कहीं से भी चांद दिखने की खबर नहीं मिली। इसलिए ईद-उल-फित्र का त्यौहार सोमवार को मनाया जाएगा।
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने बताया कि शनिवार को दिल्ली में चांद नहीं दिखा और न ही चांद दिखने की कहीं से खबर या गवाही मिली। इसलिए रविवार को 30वां रोजा होगा और शव्वाल (इस्लामी कलेंडर का 10वां महीना) की पहली तारीख सोमवार को होगी। शव्वाल के महीने के पहले दिन ईद होती है। वहीं जामा मस्जिद के इमाम सईद अहमद बुखारी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि कहीं से भी चांद दिखने की कोई खबर नहीं है।
उन्होंने कहा कि असम, कर्नाटक, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, मुंबई, चेन्नई में संपर्क कर चांद के बारे में जानकारी ली गई थी लेकिन कहीं से भी चांद दिखने की खबर नहीं है। उधर, मुस्लिम संगठन इमारत ए शरीया ने भी ऐलान किया है कि शनिवार को चांद नहीं दिखा है और रविवार को आखिरी रोजा होगा। ईद 25 मई को मनाई जाएगी। रमज़ान के महीने में रोज़ेदार सुबह सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। यह महीना ईद का चांद नजर आने के साथ खत्म होता है।
हाल में मुफ्ती मुकर्रम ने लॉकडाउन के मद्देनजर एक वीडियो जारी कर मुसलमानों से ईद की नमाज़ घर में अदा करने और फित्रा (दान) अदा करने की अपील की था। उन्होंने कहा था, " ईद उल फित्र के मौके पर घर में सुबह ईद की तैयारी करें और कुछ मीठी चीज खाएं । चार रकात नमाज़-नफील चाश्त (विशेष नमाज़) अदा कर लें। इसके बाद अल्लाह से दुआ करें। " शाही इमाम ने कहा था, " इसी तरह से ईद उल फित्र पर सदा ए फित्र (दान) अदा किया जाता है। मुसलमान, परिवार के प्रति सदस्य 55 रुपये फित्र अदा करें और गरीबों को तलाश करके यह पैसे दें। "
कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश के प्रमुख उत्सवों में शुमार ईद का त्योहार इस वर्ष बेहद सादगी से मनाया जाएगा। देशभर में सोमवार को ईद मनाए जाने की संभावना है। पुरानी दिल्ली के रहने वाले अकरम कुरैशी ने कहा, '' ईद प्यार का त्योहार है और इस दिन दोस्तों और पड़ोसियों से गले मिला जाता है लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण हाथ तक नहीं मिला सकते।'' लॉकडाउन की पाबंदियों और महामारी के डर के साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासियों के शहर से चले जाने के कारण हर साल की तरह इस बार ईद पर वैसी रौनक नहीं दिखेगी।
महामारी के कारण जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद समेत शहर की सभी मस्जिदें बंद हैं। अलविदा जुमा (रमजान का आखिरी शुक्रवार) की नमाज भी लोगों ने घरों में ही अदा की। इसी तरह, ईद की नमाज भी मस्जिद और ईदगाह में जमात के साथ पढ़ने के बजाय घरों में ही अदा की जाएगी। फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, '' कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर रमजान के दौरान भी हमारी तरफ से लोगों को घरों में रहने की अपील की गई। लोगों को मस्जिद जाने के बजाय घरों में ही ईद की नमाज अदा करनी चाहिए।''
लॉकडाउन के चौथे चरण में दुकानें खोले जाने की छूट मिलने के बावजूद ईद पर दिखायी देने वाली चहल-पहल और रौनक इस बार गायब है। जामा मस्जिद के आसपास का इलाका रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के समय गुलजार रहता था, लेकिन इस बार जरूरत के सामान की कुछ ही दुकानें खुली हुई हैं। बाजार मटिया महल व्यापारी संघ के अध्यक्ष कुरैशी ने कहा, '' करीब 450 में से 20-22 दुकानें ही खुली हैं। ईद के मौके पर नए कपड़े खरीदने के साथ ही विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं लेकिन पिछले दो महीने से दुकानें बंद हैं।
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण त्योहार मनाने के लिए लोगों में उत्साह नहीं है और पैसे की भी कमी है।'' उन्होंने बताया कि सेवई विशेष तौर पर ईद पर बनायी जाती है लेकिन इस बार जाफराबाद और इंद्रलोक में सेवई बनाने वाले कारखानों में उत्पादन नहीं हुआ, क्योंकि प्रवासी श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं। चांदनी चौक में काम करने वाले वाहिद अंसारी ने कहा, '' पिछले दो महीने से मुझे आधा वेतन ही मिल रहा है। सामान्य तौर पर हम ईद पर पूरे परिवार के कपड़े खरीदने के लिए अच्छी खासी रकम खर्च करते थे, लेकिन इस बार सिर्फ बच्चों को ही नए कपड़े दिलवा पाएंगे।''
इनपुट एजेंसी से