एडीटर्स गिल्ड ने विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह मामले पर न्यायालय के फैसले का किया स्वागत

By भाषा | Updated: June 4, 2021 18:12 IST2021-06-04T18:12:08+5:302021-06-04T18:12:08+5:30

Editors Guild welcomes court's decision on sedition case against Vinod Dua | एडीटर्स गिल्ड ने विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह मामले पर न्यायालय के फैसले का किया स्वागत

एडीटर्स गिल्ड ने विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह मामले पर न्यायालय के फैसले का किया स्वागत

नयी दिल्ली, चार जून ‘एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमे पर उच्चतम न्यायालय के फैसला का शुक्रवार को स्वागत किया और ‘‘कठोर’’ और ‘‘पुराने’’ राजद्रोह कानूनों को रद्द करने की मांग की।

उच्चतम न्यायालय ने एक यूट्यूब कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कथित टिप्पणियों के लिए दुआ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए बृहस्पतिवार को अपने फैसले में कहा था कि शीर्ष अदालत की 1962 की व्यवस्था के तहत राजद्रोह के मामलों में पत्रकारों को सुरक्षा का अधिकार है।

गिल्ड ने एक बयान में कहा, ‘‘ईजीआई स्वतंत्र मीडिया और हमारे लोकतंत्र पर राजद्रोह के कानूनों के कठोर असर पर उच्चतम न्यायालय की चिंताओं पर संतोष जताता है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘गिल्ड इन कठोर और पुराने कानूनों को रद्द करने की मांग करती है जिनका किसी भी आधुनिक उदार लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।’’

गिल्ड ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दुआ के खिलाफ आपराधिक शिकायत को न केवल रद्द किया बल्कि राजद्रोह के मामलों से पत्रकारों की सुरक्षा करने की महत्ता पर भी जोर दिया।

गिल्ड ने कहा कि केदार नाथ सिंह प्रकरण में 1962 में सुनाये गये फैसले का संदर्भ और राजद्रोह के आरोपों से पत्रकारों को सुरक्षा देने की जरूरत स्वागत योग्य है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में कानून प्रवर्तन प्राधिकारियों ने जिस तरीके से कानून लागू किए, उसके चलते मुकदमा चलाए जाने से पहले जेल में बंद कर दिया जाता है और उच्चतम न्यायालय को इसमें भी हस्तक्षेप करने की आवश्यता है।

वहीं, इंडियन वुमेन प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) ने उम्मीद जतायी कि अदालत का निर्णय राजद्रोह के आरोपों में जेल में बंद पत्रकारों को तत्काल राहत प्रदान करेगा।

आईडब्ल्यूपीसी ने कहा, ''हम जानते हैं कि राजद्रोह जैसे मामले अदालत में टिक नहीं पाते। हम यह भी जानते हैं कि ऐसे आरोप उन्हें प्रताड़ित करने के लिये लगाए जाते हैं।''

संगठन ने कहा, ''आईडब्ल्यूपीसी उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि केन्द्र तथा राज्य सरकारें मीडिया को शांत कराने की कोशिश में ऐसी कार्रवाइयां करने से परहेज करेंगी। हमें यह भी उम्मीद है कि यह निर्णय राजद्रोह के आरोपों में जेल में बंद पत्रकारों को तत्काल राहत प्रदान करेगा।''

प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि वह स्वतंत्र मीडिया और हमारे लोकतंत्र पर राजद्रोह कानूनों से पड़ने वाले प्रभावों को लेकर उच्चतम न्यायालय की चिंताओं की सराहना करता है।

एसोसिएशन ने कहा, ''शीर्ष अदालत ने न केवल दुआ के खिलाफ आपराधिक शिकायत को खारिज कर दिया बल्कि पत्रकारों को राजद्रोह के मामलों से संरक्षण देने के महत्व को भी रेखांकित किया। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि एक पत्रकार को केवल इसलिये गिरफ्तार नहीं किया जा सकता कि वह सरकार की आलोचना करता या करती है।

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Web Title: Editors Guild welcomes court's decision on sedition case against Vinod Dua

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