ALERT: फिर हिलने-डुलने लगी है धरती, भारत के इस इलाके में सबसे बड़े भूकम्प की संभावना
By आदित्य द्विवेदी | Published: July 9, 2018 07:52 PM2018-07-09T19:52:59+5:302018-07-09T19:52:59+5:30
साल 2016 में मणिपुर, 2015 में नेपाल और 2011 में सिक्किम में आए अधिक तीव्रता वाले भूकंपों ने भूगर्भीय प्लेटों में दरारें पैदा कर दी। इसका प्रतिफल किसी बड़े भूकंप के रूप में देखने को मिल सकता है। जिसमें भारत बुरी तरह प्रभावित होगा।
पहले दिल्ली फिर राजस्थान। एक हफ्ते के अंदर दो राज्यों में हल्की तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। एक बार फिर से देश में भूकंप की आवृत्तियां बढ़ रही हैं। हालांकि भूकंप की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि धरती में कंपन किसी बड़े भूकंप का संकेत है। साल 2016 में मणिपुर, 2015 में नेपाल और 2011 में सिक्किम में आए अधिक तीव्रता वाले भूकंपों ने भूगर्भीय प्लेटों में दरारें पैदा कर दी। इसका प्रतिफल किसी बड़े भूकंप के रूप में देखने को मिल सकता है। जिसमें भारत बुरी तरह प्रभावित होगा।
इस भूकंप का खतरा राजधानी दिल्ली समेत मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई इलाकों में संभावित है। मंत्रालय और मौसम विभाग ने किसी शक्तिशाली भूकंप की संभावना व्यक्त की है। कई जानकार भूकंप की बढ़ती आवृत्तियों के पीछे अवैध खनन, कंक्रीट के फैसले जंगल और जनसंख्या बोझ को मानते हैं।
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भारत के पांच बड़े भूकंपः-
- साल 1934 में बिहार में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें करीब 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसे इतिहास का सबसे भीषण भूकंप माना जाता है।
- साल 2001 में गुजरात में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इस आपदा में 20 हजार लोगों की मौत हो गई। 2 मिनट तक धरती हिलती रही थी और जब थमी तो बहुत कुछ उजड़ चुका था।
- साल 1993 में महाराष्ट्र में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया। इस हादसे में 20 हजार लोगों की मौत हुई। इसका एपिसेंटर लातूर था। 52 गांव पूरी तरह धाराशायी हो गए।
- साल 1950 में असम में 8.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 1500 लोगों की मौत हुई। इसे 20वीं सदी के 10 सबसे बड़े भूकंप में गिना जाता है।
- 1991 को उत्तरकाशी में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें 1000 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो गई। दिल्ली तक कंपन महसूस हुआ था।
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