लाइव न्यूज़ :

सुविधाओं के अभाव: ‘रावण’ बनाने वाले कलाकार दोनों पर मंदी की मार

By भाषा | Updated: October 6, 2019 18:42 IST

2018 से पहले यह बाजार टैगोर गार्डन मेट्रो स्टेशन के पास तितारपुर गांव में लगा करता था, जिसे अब सुभाष नगर स्थानांतरित कर दिया गया है। पुतला निर्माण से जुड़े कलाकारों का कहना है कि कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने होने के कारण कारोबार और जीवन दोनों पर मार पड़ी है।

Open in App
ठळक मुद्देमंदी की मार के चलते इस बार के दशहरे में इन पुतलों को बनाने वालों के लिये त्योहार का रंग कुछ फीका सा हैसुविधाओं के नाम पर सिर्फ बड़ी-बड़ी घास के मैदान हैं।

विजयादशमी के सबसे बड़े दिन के लिये रावण के पुतले जोर-शोर से तैयार किये जा रहे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कोने-कोने में भेजा जायेगा, लेकिन प्रशासनिक अव्यवस्था और मंदी की मार के चलते इस बार के दशहरे में इन पुतलों को बनाने वालों के लिये त्योहार का रंग कुछ फीका सा है। दिल्ली की भीड़-भाड़ वाली मुख्य सड़क से दूर, मंद रोशनी में पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर में पुतला बाजार सज चुका है।

2018 से पहले यह बाजार टैगोर गार्डन मेट्रो स्टेशन के पास तितारपुर गांव में लगा करता था, जिसे अब सुभाष नगर स्थानांतरित कर दिया गया है। पुतला निर्माण से जुड़े कलाकारों का कहना है कि कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने होने के कारण कारोबार और जीवन दोनों पर मार पड़ी है। दिल्ली के तितारपुर पुतला बाजार को एशिया में अपनी तरह के सबसे बड़े बाजार में से एक माना जाता था, जहां दशहरा से कुछ दिन पहले से ही इसके व्यस्त बाजार में बड़े-बड़े सिर वाले रावण के रंग-बिरंगे पुतले सड़क पर एक कतार में खड़े दिखायी देने लगते थे।

हालांकि अब पुतला बनाने वाले कलाकारों को जिन दो जगहों पर भेजा गया है वहां सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बड़ी-बड़ी घास के मैदान हैं। कलाकारों ने बताया कि वहां न पानी है, न बिजली है और न शौचालय की सुविधा है। ये कलाकार अपनी साल भर की बेहद कम मेहनताना वाली नौकरियों को छोड़कर त्योहारी मौसम में कुछ अतिरिक्त धन कमाने की उम्मीद से पुतले बनाते और बेचते हैं।

बहरहाल, इन सबके बावजूद ये कलाकार लंबे और दस सिर वाले शक्तिशाली रावण तथा उसके भाइयों कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं जबकि उन्हें पर्याप्त आय होने की उम्मीद कम है। ये पुतले पांच फीट से करीब 50 फीट के होते हैं और इनकी कीमत प्रति फीट करीब 500 रुपये है जो पिछले सालों के मुकाबले कम है। ये कलाकार मुख्यत: राजस्थान, हरियाणा और बिहार से दिहाड़ी मजदूर होते हैं। ऐसे ही एक कारोबारी महेंद्र रावणवाला ने बताया, ‘‘जब हम यहां आये तो अधिकारियों ने हमें शौचालय, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का वादा किया था। अब हम ऐसी जगह पुतले बना रहे हैं जो जंगल से भी बदतर है।’’

कमाई तो दूर, हमें पीने के पानी के लिये हर दिन 300-400 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। रावणवाला ने बताया, ‘‘यहां जो थोड़ी बहुत रोशनी दिख रही है उसकी व्यवस्था भी हमने ही की है और इसके लिये हमने 2,000 रुपये खर्च किये।’’ रावणवाला पिछले 45 साल से पुतले बना रहे हैं। बाजार के लिये आवश्यक सुविधाओं की कमी के बारे में पूछे जाने पर दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

दो साल पहले एसडीएमसी ने कहा था कि कलाकार सार्वजनिक जगह पर अतिक्रमण कर रहे हैं और आरोप लगाया था कि इन पुतलों के कारण इलाके में यातायात प्रभावित होता है। दिल्ली उच्च न्यायालय के दखल के बाद एसडीएमसी ने डेढ़ रुपये प्रति वर्गफुट प्रति महीने की दर पर कलाकारों के पुतला बनाने के लिये पिछले साल सुभाष नगर में दो जगहों की पहचान की थी। नयी जगह पर बाजार का यह दूसरा साल है, जहां पुतलों के लिये ऑर्डर न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर से बल्कि उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और यहां तक कि विदेशों से आता है।

एक और कारोबारी दासे रावणवाला के अनुसार कारोबार इस वजह से भी प्रभावित हुआ है क्योंकि उनके कई नियमित ग्राहक नयी जगह से अवगत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कई ऑडर इसलिए भी रद्द हो गये क्योंकि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को पुतला दहन के लिये अनुमति नहीं मिल सकी।

51 वर्षीय दासे ने कहा, ‘‘यहां ऐसा कोई बोर्ड भी नहीं लगाया गया हैं जिससे यह पता चल सके कि आगे रावण मंडी है या ऐसा कुछ। प्रशासन ने इतना भी नहीं किया है। हमारा काफी कारोबार खत्म हो गया है।’’ दासे और उनके साथ काम करने वाले उनके 12 सहयोगियों ने कहा कि वे अन्याय महसूस कर रहे हैं।

कई का आरोप है कि अधिकतर पुतला बनाने वाले कलाकारों को वहां से जाने के लिये कह दिया गया लेकिन तितारपुर गांव में अब भी कुछ लोग पुतला बना रहे हैं और वह भी प्रशासन के संरक्षण में। उन्होंने कहा, ‘‘वो सब दबंग हैं। उन्होंने हमसे पहले कहा था कि ‘उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, हमें नहीं छुआ जायेगा’। और देखिये ये कितना सच निकला।’’

दासे ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय और एसडीएमसी का आदेश गरीबों के लिये है न कि उन जैसे दबंगों के लिये।’’ एसडीएमसी के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें ऐसे कलाकारों के बारे में जानकारी नहीं है जो अब भी तितारपुर गांव में पुतले बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि निगम जल्द जरूरी कार्रवाई करेगा। 

टॅग्स :दशहरा (विजयादशमी)
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र विजयादशमीः दशहरे की बात, अपनी डफली-अपना राग, समर्थकों और अनुयायियों को संदेश देने की पुरानी परंपरा

भारतDelhi: रावण दहन को लेकर JNU में बवाल, रावण के पुतले पर उमर खालिद और शरजील इमाम की फोटो से 2 गुट भिड़े

भारतRavan Dahan 2025: देशभर में रावण दहन, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू में दशहरे की धूम...

पूजा पाठDussehra 2025: यूपी और महाराष्ट्र के इस गांव में 158 साल पुराना मंदिर, जहां होती है रावण की पूजा, जानिए क्यों

भारतरावण इस बार जल के नहीं डूब के मरेगा!, बारिश और तेज हवाओं से रावण के पुतलों का बुरा हाल, देखें वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतजब आग लगी तो ‘डांस फ्लोर’ पर मौजूद थे 100 लोग?, प्रत्यक्षदर्शी बोले- हर कोई एक-दूसरे को बचा रहा था और यहां-वहां कूद रहे थे, वीडियो

भारतडांस फ्लोर पर लगी आग..., कुछ ही पलों में पूरा क्लब आग की लपटों में घिरा, गोवा हादसे के चश्मदीद ने बताया

भारतगोवा के नाइट क्लब में भीषण आग, 25 लोगों की गई जान; जानें कैसे हुआ हादसा

भारतGoa Club Fire: नाइट क्लब अग्निकांड में मरने वालों की संख्या बढ़कर 25 हुई, 4 पर्यटकों समेत 14 कर्मचारियों की मौत

भारतGoa Fire: गोवा नाइट क्लब आग मामले में पीएम ने सीएम सावंत से की बात, हालातों का लिया जायजा