पत्थरबाजों के चलते पर्यटन उद्योग भी तबाह, कश्मीर को 3000 करोड़ का नुकसान

By सुरेश डुग्गर | Published: October 1, 2018 01:45 PM2018-10-01T13:45:40+5:302018-10-01T17:58:07+5:30

वर्ष 1987 का रिकार्ड तोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहे कश्मीर के नाम को ही कट्टरपंथियों और पत्थरबाजों ने पर्यटन के नक्शे से गायब करवा दिया है।

Due to stone carts, tourism industry also devastated in Kashmir, state bear loss 3000 crore | पत्थरबाजों के चलते पर्यटन उद्योग भी तबाह, कश्मीर को 3000 करोड़ का नुकसान

पत्थरबाजों के चलते पर्यटन उद्योग भी तबाह, कश्मीर को 3000 करोड़ का नुकसान

श्रीनगर, 1 अक्तूबर: 27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस पर विश्व के प्रसिद्ध पर्यटनस्थलों में जहां खुशी का माहौल था वहीं कश्मीर में मातम था। कई दिनों की हड़ताल और अघोषित कर्फ्यू से जूझ रही कश्मीर वादी में  कोई पर्यटक नजर नहीं आता था। कश्मीर से टूरिस्ट गायब हुए तो अरसा बीत चुका है। अगर कुछ नजर आया था तो वे थे पत्थरबाज तो कश्मीर के टूरिज्म की कमाई को निगल चुके हैं। दरअसल वर्ष 1987 का रिकार्ड तोड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहे कश्मीर के नाम को ही कट्टरपंथियों और पत्थरबाजों ने पर्यटन के नक्शे से गायब करवा दिया है।

वर्ष 2016 के मार्च के शुरू से ही कश्मीरियों की बांछे खिलने लगी थीं। लगता था सारे दुखदर्द दूर हो जाएंगें क्योंकि वर्ष 1987 के बाद पहली बार प्रतिदिन 40 से 50 हजार पर्यटक कश्मीर का रूख कर रहे थे। ऐसे में 30 से 50 लाख से अधिक पर्यटकों के कश्मीर आने की उम्मीद थी। अगर ऐसा होता तो 1987 का 7 लाख पर्यटकों का रिकार्ड टूट जाता।

पर्यटकों के आने का रिकार्ड तो नहीं टूटा लेकिन बुरहान वानी की मौत के बाद कट्टरपंथियों के क्विट कश्मीर-गो इंडिया गो बैक- की मुहिम का जिम्मा पत्थरबाजों द्वारा संभाल लिए जाने की की बदौलत यह रिकार्ड जरूर बन गया कि कश्मीर में हालात खराब होने के कारण 100 प्रतिशत लोगों ने सभी बुंकिगें रद्द करवा दीं। और पिछले दो साल से बुकिंगें करवाने वालों की संख्या ही नहीं बढ़ पाई।

अब हालत यह है कि झील के विभिन्न घाटों पर खाली पड़े शिकारे और हाउसबोटों के बाहर आंखों में उम्मीद व चेहरों पर मायूसी लिए लोगों के चेहरे हालात बयान करने के लिए काफी हैं। सिर्फ हाउसबोट ही नहीं होटल भी खाली हैं। बाजारों में इस बार तो ईद की भीड़ भी नजर नहीं आई। कश्मीर में पर्यटकों का कोई अता-पता नहीं है। यह हालत सितंबर माह के दौरान हैं, जब अगस्त माह की वीरानगी के बाद कश्मीर में पर्यटन सीजन दोबारा शुरू होता है। कश्मीर में तो इस बार जुलाई भी पत्थरबाजों द्वारा फैलाई गई हिंसा की भेंट चढ़ गया।

हाउसबोट आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीज तोमान का कहना है कि अगस्त में यहां अक्सर आफ सीजन होता है। इसके बाद दिवाली से करीब डेढ़ माह पहले फिर से पर्यटकों की आमद शुरू हो जाती है। विदेशियों के अलावा इस दौरान यहां पश्चिम बंगाल तक के पर्यटक आते हैं, लेकिन इस बार तो कोई नहीं आ रहा।

शिकारे वाले नजीर अहमद के अनुसार वह सीजन में प्रतिदिन हजार रुपये कमा लेता था, लेकिन अब कई महीनों से वह खाली बैठा है। नईम अख्तर नामक एक होटल व्यावसायी का कहना है कि नवरात्र शुरू होने वाला है, लेकिन यहां कोई नहीं आ रहा है। आजादी के लिए यह बखेड़ा हुआ वह आज भी नहीं मिली है। कुछ नेताओं ने लीडरी करनी थी कर रहे हैं, हमें भूखा मार दिया। लालचौक में कश्मीरी दस्तकारी की दुकान करने वाले मीर जावेद ने कहा कि बेड़ा गर्क हो ऐसे लीडरों का। कौम की बात करते हैं और कौम को ही बर्बाद कर रहे हैं। इतना अच्छा काम चल रहा था। इन लोगों ने तो हमारे मुंह का निवाला तक छीन लिया।

राज्य पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने संपर्क करने पर माना कि वर्ष 2016 के जुलाई से लेकर इस बार सितंबर माह के अंत तक वादी में करीब पौने पांच लाख पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द कराई है। हालात खराब ही हैं। इसी हालात का परिणाम है कि जम्मू कश्मीर पर्यटन मानचित्र से गायब होने लगा है क्योंकि पर्यटन अब सिर्फ कटड़ा तक ही सीमित होकर रह गया है। जहां भी पिछले कुछ दिनों से मंदी का जोर है। हालांकि इस बीच राज्य सरकार ने इंटरनेशनल टूरिज्म डे पर जम्मू संभाग के चार टूरिस्ट प्लेसों-मानसर, घराना वेट लेंड, पत्नीटाप और सुचेतगढ़ बार्डर पोस्ट- के प्रति लोगों को जानकारी देने वाला विज्ञापन देकर अपने फर्ज की इतिश्री जरूर कर ली।

English summary :
On the World Tourism Day, 27th September, where there was an atmosphere of happiness in the world's most famous and attractive tourist places, Kashmir was engulfed in the atmosphere of sadness. There was no tourist in Kashmir Valley, which has been battling for several days of strike and undeclared curfews. The tourists have disappeared from Kashmir, which is called the 'Heaven On Earth'. The stone pelters had destroyed the earnings of Kashmir's tourism.


Web Title: Due to stone carts, tourism industry also devastated in Kashmir, state bear loss 3000 crore

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