ड्रोन: आतंकवादियों के सफाए से लेकर वेडिंग फोटोग्राफी तक में आते हैं काम, जानें कैसे करता है काम

By स्वाति सिंह | Published: October 8, 2019 12:35 PM2019-10-08T12:35:41+5:302019-10-08T12:35:41+5:30

अमेरिका ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवादियों और चरमपंथियों को निशाना बनाकर जनवरी 2004 से अभी तक कुल 409 ड्रोन हमले किए हैं, जिनमें 2,714 लोग मारे गए हैं जबकि 728 अन्य घायल हुए हैं। ड्रोन का नाम UAV है यानि Unmanned Aerial Vehicle। जिसका मतलब है वो विकल जो मानव के बिना ही उड़े।

Drones: best drones to buy? How much is a drone? drones fly over your house, Do police use drones | ड्रोन: आतंकवादियों के सफाए से लेकर वेडिंग फोटोग्राफी तक में आते हैं काम, जानें कैसे करता है काम

ड्रोन का नाम UAV है यानि Unmanned Aerial Vehicle। जिसका मतलब है वो विकल जो मानव के बिना ही उड़े।

Highlightsड्रोन को स्टेबल रखने के लिए रोटर same पावर के साथ घूमते हैं। भारतीय विमानन मंत्रलाय ने 27 अगस्त 2018 को ड्रोन पॉलिसी जारी की।

ड्रोन का नाम सुनते ही हमारे जेहन में सबसे पहले अफगानिस्तान और इराक का नाम आता है। अफगान में तालिबान और इराक-सीरिया में आईएस से पूरी लड़ाई अमेरिकी ड्रोनों ने लड़ी है। इसके अलावा में पाकिस्तान में भी अमेरिकी ड्रोन के इस्तेमाल से हजारों आतंकी मारे गए हैं।

लड़ाई के अलावा ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी और खेती के लिए भी किया जा रहा है। भारतीय बॉर्डर पर भी आए दिन पाकिस्तान के ड्रोन पकड़े जाते हैं। रक्षाकवच के इस एपिसोड में हम आपको ड्रोन से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे।

ड्रोन का नाम UAV है यानि Unmanned Aerial Vehicle। जिसका मतलब है वो विकल जो मानव के बिना ही उड़े। इसे इंग्लिश शब्द ड्रान से लिया गया है जिसका मतलब होता  है 'नर मधुमक्खी'। जब ड्रोन उड़ते हैं तो वह देखने में मधुमक्खी की तरह ही लगे हैं इसलिए इसका नाम ड्रोन पड़ गया

ड्रोन की बनावट और काम

ड्रोन में  4 रोटर जिसे पंखे भी कह सकते हैं। नॉर्मली ड्रोन में 4 पंखे होते हैं लेकिन कई ऐसे ड्रोन हैं जिसमें ज्यादा या कम पंखे होते हैं। ड्रोन अपने इन्हीं पंखों या रोटर की मदद से उड़ता है।

सबसे पहले रोटर में लगी पत्तियां हवा को नीचे ढकेलती जिसके चलते ड्रोन ऊपर उठ के उड़ने लगता है। जैसे की मान लें हमारे पास चार पंखे वाला ड्रोन है तो इसमें 2 क्लॉकवाइज़ घूमेंगी और जो बाकी बची दो हैं वो एंटी-क्लॉकवाइज़ जिससे एयर प्रेशर कंट्रोल किया जा सके।

ड्रोन को स्टेबल रखने के लिए रोटर same पावर के साथ घूमते हैं। example के लिए अगर ड्रोन को आगे की तरफ उड़ाना है तो उसके आगे के दोनों रोटर कम तेजी से घूमते हैं लेकिन पीछे के दोनों रोटर पूरी तेजी के साथ घूमते हैं और ड्रोन को एक तरह से आगे की ओर धक्का देते हैं।

ड्रोन का इतिहास

ड्रोन का आविष्कार कई साल पहले ही हो गया था। हालांकि शुरूआत में यह ड्रोन ऐसा नहीं था। सबसे पहले साल 1849 की है आस्ट्रिया में एक पॉयलट रहित ड्रोन बनाया गया था। उस टाइम कैमरे के लिए नहीं सिर्फ बम फैंकने के लिए ड्रोन बनाया गया था। ये एक गुब्बारा था जो हवा में उड़ता और बम फेंकता। ये बम ज्यादा खतरनाक नहीं थे लेकिन इसके बाद इस टेक्निक से ड्रोन की शुरूआत कर दी। इसके बाद साल 1915 में निकोला टेस्ला ने एक मानव रहित लड़ाकू विमान बनाया था। उसे भी आधुनिक ड्रोन का आधार माना जाता है।

ड्रोन को सबसे बड़े लेवल पर बनाने और इस्तेमाल करने का पहला मामला तब सामने आया जब दूसरे विश्व युद्ध में यूएसए ने 15 हजार ड्रोन बनाकर इस्तेमाल किया था। मैरीलिन मोनरोए नाम के व्यक्ति ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी।

पुराने समय में सिर्फ युद्ध, सेना, बॉर्डर आदि में ही ड्रोन इस्तेमाल होने लगा था। लेकिन इसके बाद 1987 में ड्रोन का इस्तेमाल एग्रीकल्चर में भी आ गया जब याम्हा कंपनी ने फसलों में दवा छिड़कने के लिए एक ड्रोन तैयार कर दिया। इस दौरान यह ड्रोन सिर्फ जापान में ही उड़ रहा था लेकिन 2015 में अमेरिका ने भी अपने देश में ड्रोन उड़ाने की परमिशन जारी कर दी।

ड्रोन के प्रकार

ड्रोन के दो प्रकार के हैं जिसमें एक है समान्य drone और दूसरा advance drone, भारत में ड्रोन सबसे बेहद है, बिना कैमरे वाले ड्रोन की कीमत 1500 से शुरू हो जाती है। वही, कैमरे वाले ड्रोन की कीमत 5000 से शुरू हो जाती है ये सभी समान्य ड्रोन हैं जो आप ऑनलाइन शॉपिंग साईट पर आसानी से मिल सकते हैं। लेकिन एडवांस ड्रोन के इस्तेमाल की परमिशन हमे नहीं हैं। क्योंकि वो देश की सुरक्षा से जुड़े होते है।

भारत में ड्रोन चलाने की इजाजत नहीं है लेकिन अगर आप कोई वीडियो शूट करना चाहते हैं या पब्लिक प्लेस का शूट करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए पुलिस या सरकारी अधिकारी से इजाजत लेनी होगी।  हालांकि आपकी पर्सनल प्रॉपर्टी में ड्रोन उड़ाने में कोई मनाही नहीं है।

भारत में ड्रोन पॉलिसी

भारतीय विमानन मंत्रलाय ने 27 अगस्त 2018 को ड्रोन पॉलिसी जारी की। इस नीति में सरकार ने “लाइन ऑफ साइट” ड्रोन को मंजूरी दी है। ड्रोन टेक्निक के कामर्सियल इस्तेमाल की मंजूरी 1 दिसंबर 2018 से दी। हालाँकि यह मंजूरी सिर्फ “विजुअल लाइन ऑफ साइट” यानि जहां तक नजर देख सके वहां तक के लिए दी गई।

आमतौर पर नजर की पहुंच 450 मीटर तक होती है। मंत्रालय के मुताबिक, हालांकि इस शर्त को बाद में हटाया भी जा सकता है। इस नई ड्रोन पॉलिसी से कृषि, स्वास्थ्य और आपदा राहत जैसे कार्यों के लिए ड्रोन के व्यावसायिक इस्तेमाल का रास्ता खुलेगा।

ड्रोन के फायदे

ड्रोन की उंची उड़ान ही इसका सबसे बड़ा फायदा है। ड्रोन को काफी उंचाई तक उड़ाया जा सकता है। ड्रोन का दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये है कि ड्रोन के मदद से आप खेतों में बीज बो सकते हैं तो वहीं आप अन्य सामान ढोने के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। इसके अलावा फिल्म मेकिंग में कई तरह के शॉट उंचाई या फिर दुर्गम स्थानों से लेने होते हैं जिन्हें ड्रोन मिनटों में ले लेता है। वहीं दूसरी तरफ आर्मी के लिए भी ड्रोन समय बचाता है। ड्रोन चलाने के लिए कोई ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है।

ड्रोन के नुक्सान

अब जब इसके एडवांटेज इतने हैं तो जाहिर है कुछ डिस एडवांटेज भी होंगे। जो इसमें सबसे बड़ी खामी है वो ये की ड्रोन की लाइफ कम होती है। हांलांकि महंगे और हाई क्वालिटी के ड्रोन ज्यादा समय भी चलते हैं । लेकिन ज्यादातर ड्रोन कुछ समय बाद खराब हो जाते हैं। इसके अलावा अगर आप अपने एरिया में बेतरतीबी से ड्रोन उड़ा रहे हैं और आसपास के किसी व्यक्ति ने आपके खिलाफ कानूनी केस कर सकता है। आपको ड्रोन उड़ाने से पहले इसके लिए नियम आदि जान लेना बेहद जरूरी है।

ड्रोन का  इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जाता है। ऐसे में इसका गलत इस्तेमाल होता है और पर्सनल के साथ—साथ देश के लिए भी नुकसान देह हो सकता है। सेना, वायुसेना आदि के ठिकानों के आसपास उड़ने वाले ड्रोन जासूस हो सकते हैं।

ड्रोन ने अपने लक्ष्य पर सटीक प्रहार करने में क्षमता हासिल की है, साथ ही इसके हमलों में टारगेट के आस पास नुक़सान न के बराबर होता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आतंक के ख़िलाफ़ या युद्ध में सशस्त्र ड्रोन या यूएवी एक ज़रूरत के मुताबिक़ विकसित किया गया एक कारगर हथियार बन गया है। लेकिन तकनीकी रूप से कम उन्नत देशों के ड्रोन बनाने की वजह से काफ़ी हद तक एक असमान जद्दोजहद भी शुरू हो गई है।

पाकिस्तान में अबतक ड्रोन हमलों में 2,714 लोगों की मौत

अमेरिका ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवादियों और चरमपंथियों को निशाना बनाकर जनवरी 2004 से अभी तक कुल 409 ड्रोन हमले किए हैं, जिनमें 2,714 लोग मारे गए हैं जबकि 728 अन्य घायल हुए हैं। पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार डॉन में  प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सीआईए संचालित इन ड्रोन द्वारा बजाउर, बानू, हांगू, खैबर, खुर्रम, मोहमंद, उत्तरी वजीरिस्तान, मुश्की, ओरक्जई और दक्षिण वजीरिस्तान में हमले किए गए।

सबसे ज्यादा ड्रोन हमले 2008 से 2012 के बीच पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के शासनकाल में हुए। नैशनल काउंटर टेररिजम अथॉरिटी (नाक्टा) के सूत्रों का हवाला देते हुए अखबार ने लिखा है कि इस अवधि में 336 हवाई हमले हुए, जिनमें 2,282 लोगों की जान गई और 658 लोग घायल हुए।

अधिकारियों ने बताया कि अकेले 2010 में 117 हमले हुए जिनमें 775 लोग मारे गए और 193 लोग घायल हो गए थे। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के कार्यकाल में 2013 से 2018 तक 65 ड्रोन हमले हुए। इनमें 301 लोग मारे गए जबकि 70 अन्य घायल हुए। 2018 में दो ड्रोन हमले हुए जिनमें एक व्यक्ति मारा गया और एक अन्य घायल हुआ। तहरीक-ए-पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व ऐसे ही ड्रोन हमले में मारा गया। तालिबान प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर भी ऐसे ही ड्रोन हमले में मारा गया था।
 

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