CAB पर विशेषज्ञ ने संसद को किया था सचेतः धर्म की बजाए सिर्फ 'धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक' लिखना चाहिए!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 28, 2019 09:08 AM2019-12-28T09:08:43+5:302019-12-28T09:08:43+5:30

नागरिकता संशोधन बिल में किसी धर्म (हिंदू, सिख, पारसी... इत्यादि) की बजाए सिर्फ धार्मिक प्रताड़ना के शिकार अल्पसंख्यक लिखा जाए। 

Don’t name religions, just say persecuted minorities in citizenship amendment bill, subhash kashyap suggests | CAB पर विशेषज्ञ ने संसद को किया था सचेतः धर्म की बजाए सिर्फ 'धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक' लिखना चाहिए!

CAB पर विशेषज्ञ ने संसद को किया था सचेतः धर्म की बजाए सिर्फ 'धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यक' लिखना चाहिए!

Highlightsइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सुभाष कश्यप ने जेपीसी के सामने 2016 में कहा थासुभाष कश्यप सातवीं, आठवीं और नवीं लोकसभा में महासचिव रह चुके हैं।

जानें माने संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने संयुक्त संसदीय समति को दो साल पहले ही सचेत किया था कि नागरिकता संशोधन बिल में किसी धर्म (हिंदू, सिख, पारसी... इत्यादि) की बजाए सिर्फ धार्मिक प्रताड़ना के शिकार अल्पसंख्यक लिखा जाए। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सुभाष कश्यप ने जेपीसी के सामने 2016 में कहा था कि 'धार्मिक प्रताड़ना के शिकार अल्पसंख्यक' में सभी शामिल हो जाएंगे जिन्हें नागरिकता देना उद्देश्य है। सुभाष कश्यप ने बताया कि उन्होंने सलाह दी थी कि बिना किसी समुदाय का नाम लिखे भी उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है।

सुभाष कश्यप सातवीं, आठवीं और नवीं लोकसभा में महासचिव रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि दोनों सदनों ने सीएबी को पारित कर दिया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। इसे 'कोर्ट ऑफ लॉ' या संसद में संशोधन के जरिए ही सुधारा जा सकता है।

कश्यप ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रही हिंसा की आलोचना करते हुए कहा कि यह गैरकानूनी है। प्रदर्शनकारियों को यह याद रखना चाहिए कि उसी संविधान ने संसद को सर्वोच्च माना है।

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, उन्हें गैर कानूनी अप्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। 

Web Title: Don’t name religions, just say persecuted minorities in citizenship amendment bill, subhash kashyap suggests

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