हिन्दी दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह के ट्वीट को लेकर राजनीति तेज हो गई है। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी 20 सितंबर को पूरे तमिलनाडु में हिन्दी भाषा को लागू करने के विरोध में प्रदर्शन करेगा।
इससे पहले द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने केंद्र पर “हिंदी को मनमाने तरीके से थोपने” का रविवार को आरोप लगाया और ऐसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विरोध को आगे ले जाने के लिए विपक्षी दलों में एकजुटता होने की जरूरत को रेखांकित किया।
एमडीएमके पार्टी के एक कार्यक्रम में स्टालिन ने यहां कहा कि रेलवे और डाक विभाग की प्रतियोगी परीक्षाओं में तमिल को दरकिनार कर दिया गया।
हिंदी को आम संपर्क की भाषा बनाने की गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद द्रमुक प्रमुख ने शनिवार को कहा था कि यह नजरिया राष्ट्रीय संप्रभुता के खिलाफ था और मांग की कि इसे वापस लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें हमारे अधिकार पाने के लिए हर दिन विरोध प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार करने के लिए मजबूर किया गया है।”
एमडीएमके द्वारा द्रविड़ विचारक सी एन अन्नादुरई की 111 वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 1938 से, तमिलनाडु हिंदी को थोपे जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है और वर्ष 1949 और 1953 में हुए आंदोलनों समेत ऐसे कई आंदोलन हुए। इस तरह के विरोध प्रदर्शनों ने 1965 में एक बड़े आंदोलन का रूप लिया और "क्या प्रदर्शन करने की स्थिति अब भी नहीं बन गई है?"
उन्होंने कहा, "वे लगातार हिंदी थोप रहे हैं और हम इसका हर तरह से विरोध कर रहे हैं।"
स्टालिन ने कहा कि न सिर्फ हिंदी के मुद्दे पर बल्कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), कावेरी मुद्दे, मीथेन, हाइड्रोकार्बन और न्यूट्रिनो निकालने संबंधी परियोजनाओं पर भी तमिलनाडु को धोखा दिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र एवं राज्य सरकारें ऐसे मुद्दों पर किए गए छल के लिए जिम्मेदार हैं। साथ ही कहा, “इसे रोकना हमारा लोकतांत्रिक कर्तव्य है।”
किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को विविधता में एकता के वादे को नहीं तोड़ना चाहिए-कमल हासन
मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक व दिग्ग्ज अभिनेता कमल हासन ने हिंदी को ‘‘थोपने’’ के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि यह दशकों पहले देश से किया गया एक वादा था, जिसे ‘‘किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए।’’
उन्होंने एक वीडियो में कहा, ‘‘विविधता में एकता का एक वादा है जिसे हमने तब किया था जब हमने भारत को एक गणतंत्र बनाया था। अब, उस वादे को किसी शाह, सुल्तान या सम्राट को तोड़ना नहीं चाहिए। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी।’’
‘‘शाह या सुल्तान या सम्राट’’ टिप्पणी में स्पष्ट रूप से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर इशारा किया गया है। गौरतलब है कि शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि आज देश को एकता की डोर में बाँधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है।