DMK ने PSA को बताया 'क्रूर' कानून, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को रिहा करने की मांग की
By भाषा | Published: February 8, 2020 03:47 PM2020-02-08T15:47:51+5:302020-02-08T15:47:51+5:30
पार्टी ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। केंद्र ने इस सख्त कानून (पीएसए) के तहत छह फरवरी को दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
जन सुरक्षा कानून (पीएसए) को क्रूर कानून बताते हुए द्रमुक ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों--उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत अन्य कश्मीरी नेताओं की हिरासत बढ़ाने को लेकर केंद्र पर हमला बोला। पार्टी ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की। केंद्र ने इस सख्त कानून (पीएसए) के तहत छह फरवरी को दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
इससे चंद घंटे पहले ही उनकी छह माह की “एहतियातन हिरासत” की अवधि खत्म होने वाली थी। केंद्र पर निशाना साधते हुए, तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया कि जन सुरक्षा कानून (पीएसए) क्रूर कानून है और कश्मीरी नेताओं की हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की निंदा की।
द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने आरोप लगाया कि ऐसे कठोर कानून किसी भी राज्य में और किसी भी नेता के खिलाफ लागू किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा परिदृश्य देश और केंद्र-राज्य के रिश्तों के लिए भी उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत की अखंडता में यकीन करने वाले नेताओं को हिरासत में रखना मानवाधिकार और व्यक्तिगत आजादी के खिलाफ है और यह संविधान एवं लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को धता बताने के समान है।