नई दिल्लीः भारत के प्रमुख उत्सव दीपावली को बुधवार को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया गया। दिल्ली में लाल किले पर आयोजित यूनेस्को की एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया। यह पहली बार है कि भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। इस समिति का 20वां सत्र लाल किले में आठ से 13 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। यूनेस्को द्वारा दीपावली उत्सव को प्रतिष्ठित सूची में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे हवा में गूंज उठे।
भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचितः पीएम मोदी
विभिन्न पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने मुख्य मंच के सामने प्रस्तुति दी और एक बड़ी स्क्रीन पर दीपावली उत्सव के चित्र प्रदर्शित किए गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे त्योहार की वैश्विक लोकप्रियता में और वृद्धि होगी। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचित हैं।”
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान दीपावली के इस सूची में शामिल होने की घोषणा के तुरंत बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने देश की ओर से एक बयान दिया। यह मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होने वाली भारत की 16वीं सांस्कृतिक परंपरा है।
शेखावत और भारतीय दल के अन्य सदस्यों ने इस अवसर पर पारंपरिक पगड़ी पहनी
भारत की 15 सांस्कृतिक परंपराएं वर्तमान में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल हैं, जिनमें कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा और रामलीला - महाकाव्य ‘रामायण’ का पारंपरिक प्रदर्शन शामिल हैं। शेखावत और भारतीय दल के अन्य सदस्यों ने इस अवसर पर पारंपरिक पगड़ी पहनी।
प्रकाश का उत्सव दीपावली भारत के उन चिरस्थायी त्योहारों में से एक है जो अब दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों से सजाते हैं और इमारतों को रोशन किया जाता है, जिससे रात में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत होता है। भारत ने 2024-25 के लिए 2023 में यूनेस्को को दीपावली नामांकन का दस्तावेज भेजा था।
शेखावत ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हर भारतीय के लिए दीपावली बेहद भावनात्मक त्योहार है; इसे पीढ़ियों से मनाया जा रहा है, इसे महसूस किया जाता है और आत्मसात किया जाता है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दीपावली को इस सूची में शामिल करके ‘‘यूनेस्को ने नवीकरण, शांति और अच्छाई की जीत के लिए शाश्वत मानवीय अभिलाषा का सम्मान किया है।’’
शेखावत ने कहा कि कुम्हारों से लेकर कारीगरों तक लाखों हाथ इस विरासत को जीवित रखते हैं। उन्होंने कहा कि यूनेस्को का यह ‘टैग’ भी एक जिम्मेदारी है और ‘‘हमें सुनिश्चित करना होगा कि दीपावली हमेशा एक विरासत बनी रहे।’’ उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को पता होना चाहिए कि दीपावली राम राज्य यानी सुशासन का त्योहार है।
उन्होंने कहा कि आगामी दीपावली पर लोगों को ‘‘एक अतिरिक्त दीपक जलाना चाहिए, कृतज्ञता का दीपक, शांति का दीपक, मानवता की साझेदारी का दीपक और सुशासन का दीपक।’’ शेखावत ने अपने संबोधन में 'तमसो मां ज्योतिर्गमय' (अंधेरे से मुझे प्रकाश की ओर ले चलो) के संस्कृत मंत्र का उच्चारण किया और इसे 'जय हिंद, भारत माता की जय, राजा राम चंद्र जी की जय' के साथ समाप्त किया।
यहां पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात पाकिस्तानी राजनयिक शोएब सरवर संधू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘दीपावली के अवसर पर भारत को मेरी हार्दिक बधाई।’’ इससे एक दिन पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत का प्राचीन लोक संगीत वाद्ययंत्र बोरींडो और उसकी धुनें, पैराग्वे की प्राचीन चीनी मिट्टी की शिल्पकला और केन्या के दाईदा समुदाय के म्वाजिंडिका आध्यात्मिक नृत्य को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (आईसीएच) में शामिल किया गया था।
पेरिस स्थित विश्व निकाय के अनुसार, समिति इस सत्र के दौरान यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए लगभग 80 देशों द्वारा प्राप्त ‘कुल 67 नामांकनों’ पर विचार करेगी। मंगलवार को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में बांग्लादेश के तंगेल की पारंपरिक साड़ी बुनाई कला और अफगानिस्तान की बहजाद की लघु चित्रकला शैली को शामिल करने की मंजूरी दी थी।
कई अरब देशों द्वारा नामित ‘बिष्ट’ (पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला अबा या गाउन) बनाने के कौशल और तरीकों को भी इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल करने की मंजूरी दी गई। बुधवार को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में अन्य नई चीजों में इराक से अल-मुहैबी: इससे जुड़ी सामाजिक प्रथाएं और परंपराएं; जॉर्डन से अल-मिहरास वृक्ष: इससे जुड़ा ज्ञान, कौशल और अनुष्ठान; और कुवैत में एक एकीकृत सांस्कृतिक प्रथा दीवानिया को शामिल किया गया।
दीपावली का यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होना गर्व की बात : योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में सम्मिलित किए जाने को गर्व का पल बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय उस उत्सव की वैश्विक पहचान है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और नए आरंभ के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक शक्ति व परंपरा की महत्ता को विश्वपटल पर और अधिक मजबूती प्रदान करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' के माध्यम से विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के दृष्टिकोण से इस उपलब्धि के महत्व को रेखांकित किया।
एक बयान के मुताबिक उन्होंने कहा, ''यह सम्मान उत्तर प्रदेश के लिए इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अयोध्या प्रभु श्रीराम की पावन भूमि है। यहीं पर दीपावली की पहली ऐतिहासिक उत्सव परंपरा की शुरुआत हुई थी।'' उन्होंने कहा कि अयोध्या केवल सांस्कृतिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं की आत्मा है।
ऐसे में इस पर्व की वैश्विक मान्यता अयोध्या के आध्यात्मिक महत्व को और भी प्रखर बनाती है। आदित्यनाथ ने कहा, ''यह अंतरराष्ट्रीय सम्मान भारत की बढ़ती सांस्कृतिक प्रतिष्ठा का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने विश्व स्तर पर अपनी सांस्कृतिक उपस्थिति को व्यापक रूप से स्थापित किया है।''
उन्होंने कहा कि भारत की परंपराओं और उत्सवों को विश्व समुदाय द्वारा अपनाया जाना सकारात्मक संकेत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आशा व्यक्त की कि अयोध्या का शाश्वत प्रकाश मानवता को सत्य और सद्भाव के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। उनके अनुसार यह पर्व केवल उत्सव नहीं बल्कि जीवन दर्शन है, जो समाज को एकता और संस्कारों की दिशा में अग्रसर करता है।