दिवाली के मौके पर उल्लू क्यों आए मुश्किल में! कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने फील्ड स्टाफ की छुट्टी कैंसल की, जानें पूरा मामला

By विनीत कुमार | Updated: November 12, 2020 10:57 IST2020-11-12T10:35:04+5:302020-11-12T10:57:31+5:30

उत्तराखंड वन विभाग ने दिवाली के त्योहार से पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के फील्ड स्टाफ की छुट्टिया कैंसल कर दी है। ऐसा उल्लू के होने वाले शिकार को रोकने के लिए किया गया है।

Diwali to prevent Owl poaching Uttrakhand corbett tiger reserve ctr cancels field staff holidays | दिवाली के मौके पर उल्लू क्यों आए मुश्किल में! कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने फील्ड स्टाफ की छुट्टी कैंसल की, जानें पूरा मामला

दिवाली के मौके पर उल्लू पर आफत! (फाइल फोटो)

Highlightsउल्लू की सुरक्षा के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) ने सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल कीटाइगर रिजर्व ने 15 नवंबर तक सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल की, उल्लू के शिकार को रोकने की पहल

दीपावली के त्योहार से पहले उत्तराखंड वन विभाग ने रेड अलर्ट जारी करते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) ने सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल कर दी हैं। वन विभाग की ओर से ये कदम उल्लू की सुरक्षा को लेकर उठाए गए हैं। दीपावली के दौरान तांत्रिकों द्वारा अवैध तरीके से उल्लू के शिकार का खतरा रहता है। इसे देखते हुए ये फैसला किया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार टाइगर रिजर्व ने 15 नवंबर तक सभी फील्ड स्टाफ की छुट्टियां कैंसल की है। साथ ही रिजर्व की पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी गई है। खासकर रात के समय पेट्रोलिंग पर विशेष ध्यान है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर राहुल ने बताया, 'दिवाली के मौके पर तांत्रिकों द्वारा कुछ प्रक्रियाओं के लिए  उल्लू का शिकार किया जाता है। हमने उन्हें बचाने के लिए पेट्रोलिंग को बढ़ाने का फैसला किया है।'  

दरअसल, हिंदू मान्यताओं में उल्लू को सुख-समृद्धि की देवी लक्ष्मी का वाहन कहा गया है। ऐसे में कुछ तांत्रिकों द्वारा लक्ष्मी माता को खुश करने के लिए उल्लू की बलि देने जैसी परंपरा है। उल्लू का शिकार कई लोग उसकी हड्डियों, पंख, खून, मांस आदि के लिए भी करते हैं।

बता दें कि वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) ने उत्तराखंड की पहचान कुछ उन जगहों में की है जहां उल्लू का गैरकानूनी व्यापार बड़े स्तर पर होता है। हालांकि, इसे लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि यहां हर साल कितने उल्लूओं का शिकार होता है। साथ ही इनकी गिनती भी कभी नहीं की गई है। वही, पुणे के इला फाउंडेशन से जुड़े और पक्षीविज्ञानी सतीश पांडे ने पिछले साल नवंबर में वर्ल्ड आउल कॉन्फ्रेंस में ये अनुमान जताया था कि देश भर में उल्लुओं के शिकार की संख्या एक साल में 17 हजार से अधिक हो सकती है।

दुनिया भर में उल्लू की कई प्रजातियां खतरे में हैं। भारत में ही 30 से अधिक उल्लू की प्रजाति पाई जाती है। भारत में उल्लू का शिकार भी गैरकानूनी है।

Web Title: Diwali to prevent Owl poaching Uttrakhand corbett tiger reserve ctr cancels field staff holidays

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