हिमाचल प्रदेश में अयोग्य ठहराए गए विधायकों को नहीं मिलेगी पेंशन, दलबदलुओं पर शिकंजा कसने के लिए विधेयक पास

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 4, 2024 17:28 IST2024-09-04T17:26:57+5:302024-09-04T17:28:42+5:30

Himachal Pradesh : नए विधेयक का उद्देश्य विधायकों की पेंशन बंद करके उन्हें दल बदलने से रोकना और हतोत्साहित करना है। विधेयक के अनुसार, "कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा यदि उसे संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य घोषित कर दिया गया हो।"

Disqualified MLAs in Himachal Pradesh will not get pension bill passed Anti-Defection Law Dal badal kanoon | हिमाचल प्रदेश में अयोग्य ठहराए गए विधायकों को नहीं मिलेगी पेंशन, दलबदलुओं पर शिकंजा कसने के लिए विधेयक पास

(File Photo)

Highlightsसंविधान की दसवीं अनुसूची में 'दलबदल विरोधी कानून' का जिक्र हैहिमाचल प्रदेश विधानसभा में संशोधित विधेयक पारित नए विधेयक का उद्देश्य विधायकों की पेंशन बंद करके उन्हें दल बदलने से रोकना और हतोत्साहित करना

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित सदस्यों की पेंशन रोकने के लिए एक संशोधित विधेयक पारित किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश विधान सभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया था। इसका मकसद दलबदलुओं पर शिकंजा है। 

नए विधेयक का उद्देश्य विधायकों की पेंशन बंद करके उन्हें दल बदलने से रोकना और हतोत्साहित करना है। विधेयक के अनुसार, "कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत पेंशन का हकदार नहीं होगा यदि उसे संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के तहत किसी भी समय अयोग्य घोषित कर दिया गया हो।" विधेयक में उन विधायकों द्वारा ली गई पेंशन की वसूली के प्रावधान भी शामिल हैं जो इस संशोधन के तहत हकदार नहीं हैं।

अधिनियम की धारा 6 बी के तहत प्रत्येक विधायक जिसने पांच साल तक की किसी भी अवधि के लिए सेवा की है वह प्रति माह 36,000 रुपये की पेंशन का हकदार है। धारा 6(ई) में आगे कहा गया है कि प्रत्येक विधायक को पहले कार्यकाल की अवधि से अधिक प्रत्येक वर्ष के लिए 1,000 रुपये प्रति माह की अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी।

बता दें कि संविधान की दसवीं अनुसूची में 'दलबदल विरोधी कानून' का जिक्र है। यह राजनीतिक दलबदल को रोकने के लिए बनाई गई है। दलबदल विरोधी कानून 1985 में संसद द्वारा पारित किया गया था।

कुछ महीने पहले कांग्रेस के छह विधायकों - सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार ने पाला बदल लिया था। इसके बाद सबको दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए सदन से अनुपस्थित रहे थे। 

बता दें कि हिमाचल प्रदेश इस समय गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और सरकार खर्चों में कटौती करने की हर संभावित कोशिश कर रही है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी राज्य को काफी नुकसान हुआ है। 

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