विकारों की वजह से 25 हफ्तों के भ्रूण के बचने की उम्मीद नहीं, अदालत ने गर्भपात की इजाजत दी

By भाषा | Updated: January 4, 2021 19:20 IST2021-01-04T19:20:18+5:302021-01-04T19:20:18+5:30

Disorders Not Expected to Survive 25-Week Fetus, Court Permits Abortion | विकारों की वजह से 25 हफ्तों के भ्रूण के बचने की उम्मीद नहीं, अदालत ने गर्भपात की इजाजत दी

विकारों की वजह से 25 हफ्तों के भ्रूण के बचने की उम्मीद नहीं, अदालत ने गर्भपात की इजाजत दी

(शब्द में सुधार के साथ)

नयी दिल्ली, चार जनवरी दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को 25 हफ्तों के भ्रूण के चिकित्सीय गर्भपात की सोमवार को इजाजत दे दी क्योंकि भ्रूण में गंभीर विकार होने के कारण उसके बचने की संभावना नहीं है।

उच्च न्यायालय ने एम्स की रिपोर्ट पर विचार के बाद 25 वर्षीय गर्भवती महिला की भ्रूण के गर्भपात संबंधी याचिका को मंजूरी दे दी। भ्रूण के गुर्दे विकसित नहीं हुए हैं जिसके आधार पर एम्स ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में स्थिति को खराब बताते हुए कहा था कि “भ्रूण के बचने की उम्मीद नहीं है।”

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा, “मुझे चिकित्सीय गर्भपात कराने की मंजूरी नहीं देने का कोई कारण नजर नहीं आता। इसलिये याचिका को स्वीकार किया जाता है।”

इस मामले में अदालत की इजाजत जरूरी थी क्योंकि चिकित्सीय गर्भ समापन कानून की धारा-3 के तहत 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने पर रोक है।

उच्च न्यायालय ने पूर्व में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) को निर्देश दिया था कि वह महिला की स्थिति की जांच के लिये एक बोर्ड का गठन करें जिसका भ्रूण गंभीर विकारों से ग्रस्त है।

अदालत ने एमएस से भ्रूण की चिकित्सीय स्थिति और उसके गर्भावस्था तक जीवित नहीं रहने के अनुमान के संदर्भ में रिपोर्ट सौंपने को कहा था।

महिला की तरफ से पेश हुईं अधिवक्ता स्नेहा मुखर्जी ने कहा कि बच्चे के जन्म तक भ्रूण जीवित नहीं रहेगा क्योंकि उसके दोनों गुर्दे अब तक विकसित नहीं हुए हैं और इस परिस्थिति में महिला को गर्भावस्था की अवधि पूरी करने के लिये बाध्य करना निरर्थक होगा।

याचिका में कहा गया कि गर्भावस्था के 25वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड के दौरान यह सामने आया कि भ्रूण के दोनों गुर्दे विकसित नहीं हुए हैं और ऐसे में उसके जीवित बचने की संभावना नहीं है।

महिला ने 20 हफ्ते की गर्भावस्था पूरी कर ली थी। ऐसे में चिकित्सीय गर्भ समापन निषेध था।

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Web Title: Disorders Not Expected to Survive 25-Week Fetus, Court Permits Abortion

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