लोकसभा में 27 दिसंबर को होगी 'तीन तलाक' संबंधी विधेयक पर चर्चा, पिछले बार मचा था जबरदस्त हंगामा

By भाषा | Published: December 20, 2018 05:51 PM2018-12-20T17:51:16+5:302018-12-20T17:51:16+5:30

विधायी कार्यसूची के तहत इस विधेयक पर बृहस्पतिवार को चर्चा होना था, लेकिन सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे 27 दिसंबर की कार्यसूची में शामिल करने का फैसला किया।

Discussion on triple talaq divorce legislation on 27th December in Lok Sabha | लोकसभा में 27 दिसंबर को होगी 'तीन तलाक' संबंधी विधेयक पर चर्चा, पिछले बार मचा था जबरदस्त हंगामा

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर: मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के मकसद से लाया गया ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ पर 27 दिसंबर को लोकसभा में चर्चा होगी और पारित कराया जायेगा।

विधायी कार्यसूची के तहत इस विधेयक पर बृहस्पतिवार को चर्चा होना था, लेकिन सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के आग्रह पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे 27 दिसंबर की कार्यसूची में शामिल करने का फैसला किया।

खड़गे ने कहा, ‘‘ मैं आश्चासन देता हूं कि इस पर 27 दिसंबर को चर्चा हो जिसमें हम सभी भाग लेंगे। इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए क्योंकि एक महत्वपूर्ण विधेयक है।’’ उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे और सरकार अपना पक्ष रखेगी। वैसे सरकार को अपने तरीके से जाना है, लेकिन हम अपनी बात जरूर रखेंगे।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि खड़गे वरिष्ठ सदस्य है और उनके आश्वासन पर विश्वास किया जाना चाहिए। लेकिन हम यह भी आश्चासन चाहते हैं कि इस विधेयक पर शांति से चर्चा होनी चाहिए क्योंकि इस पर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर है।

संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि खड़गे के आश्वासन पर विश्वास करते हुए इसे 27 दिसंबर को सूचीबद्ध किया जाए। सुमित्रा महाजन ने इसे 27 दिसंबर की कार्यसूची में शामिल करने का फैसला किया।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को ‘असंवैधानिक और गैरकानूनी’ करार दिया था। संसद के पिछले सत्र में 'तीन तलाक' कानून को लेकर जबरदस्त हंगामा देखने को मिला था।

क्रिसमस की छुट्टी

क्रिसमस के कारण राज्यसभा में 24 से 26 दिसंबर तक छुट्टी की घोषणा की गई है और समझा जाता है कि लोकसभा में इस दौरान छुट्टी रहेगी ।

उल्लेखनीय है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका ।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3 : 2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत :एक साथ और एक समय तलाक की तीन घोषणाएं: की प्रथा को समाप्त कर दिया था जिसे कतिपय मुस्लिम पतियों द्वारा अपनी पत्नियों से विवाह विच्छेद के लिये अपनाया जा रहा था ।

इसमें कहा गया है कि इस निर्णय से कुछ मुस्लिम पुरूषों द्वारा विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी पद्धति से भारतीय मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा मिला है।

संसद में लंबित विधेयक

यह अनुभव किया गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को प्रभावी करने के लिये और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओं की शिकायतों को दूर करने के लिये राज्य कार्रवाई अवश्यक है । ऐसे में तलाक ए बिद्दत के कारण असहाय विवाहित महिलाओं को लगातार उत्पीड़न से निवारण के लिये समुचित विधान जरूरी था । लिहाजा मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 को दिसंबर 2017 को लोकसभा में पुन: स्थापित किया गया और उसे पारित किया गया था ।

संसद में और संसद से बाहर लंबित विधेयक के उपबंधों के विषय में चिंता व्यक्त की गई थी। इन चिंताओं को देखते हुए अगर कोई विवाहित मुस्लिम महिला या बेहद सगा (ब्लड रिलेशन) व्यक्ति तीन तलाक के संबंध में पुलिस थाने के प्रभारी को अपराध के बारे में सूचना देता है तो इस अपराध को संज्ञेय बनाने का निर्णय किया गया।

मजिस्ट्रेट की अनुमति से ऐसे निबंधनों की शर्त पर इस अपराध को गैर जमानती एवं संज्ञेय भी बनाया गया है । इसमें कहा गया कि ऐसे में जब विधेयक राज्यसभा में लंबित था और तीन तलाक द्वारा विवाह विच्छेद की प्रथा जारी थी, तब विधि में कठोर उपबंध करके ऐसी प्रथा को रोकने के लिये तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत थी। उस समय संसद के दोनों सदन सत्र में नहीं थे। ऐसे में 19 सितंबर 2018 को मुस्लिम विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 लागू किया गया ।

Web Title: Discussion on triple talaq divorce legislation on 27th December in Lok Sabha

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