भोपाल: वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने रविवार को दावा किया कि देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में हो रही ‘‘चोरी’’ व ‘‘खतरे में पड़े लोकतंत्र’’ को बचाने के लिए सभी को साथ मिलकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमें आदिवासियों की जल, जंगल एवं जमीन की लड़ाई भी लड़नी होगी।’’
दिग्विजय ने सिवनी के पॉलिटेक्निक कॉलेज मैदान पर बिरसा बिग्रेड द्वारा मिशन आदिवासी स्थापना दिवस पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही है। इस अवसर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार भी मौजूद थे।
ईवीएम मशीनों में चोरी-डकैती की भी लड़ेंगे लड़ाई- दिग्विजय सिंह
इस पर बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि ‘‘हम लोग ना केवल आदिवासियों की लड़ाई लड़ेंगे, बल्कि इस देश में जो ईवीएम मशीनों में चोरी-डकैती हो रही है, उसकी लड़ाई भी हम शरद पवार साहब के नेतृत्व में लड़ेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम बटन दबाते हैं, पता नहीं वोट किसे गया। मतदाताओं के बीच आज अविश्वास की स्थिति पूरे देश में पैदा हो गई है।’’
दिग्विजय ने भाजपा नीत केन्द्र सरकार से सवाल किया, ‘‘विश्व में ऐसी कोई मशीन बता दीजिए, जिसमें चिप डली हो और हैक नहीं किया जा सके। बांग्लादेश और रूस के रिजर्व बैंक से चोरी कर ली गई, तो यहां वोटों की चोरी बड़ी आसानी से हो सकती है।’’
आरएसएस छीन रही है आदिवासियों की पहचान- कांग्रेस नेता
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘वे (भाजपा नीत केन्द्र सरकार) सवालों का जवाब नहीं देते, क्योंकि इनके पास जवाब नहीं है। इसलिए इसके लिए हमें जनआंदोलन छेड़ना पड़ेगा। आदिवासियों, हरिजनों, जल, जंगल एवं जमीन की लड़ाई के साथ हमें संविधान और लोकतंत्र की लड़ाई भी लड़नी पड़ेगी, क्योंकि आज संविधान खतरे में हैं, लोकतंत्र खतरे में हैं।’’ दिग्विजय ने आरोप लगाया कि भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस), वे संगठन हैं जो आदिवासियों की पहचान छीनना चाहते हैं।
आदिवासियों की समस्याओं व उनके अधिकारों के लिए एकजुट हुए है हम-पवार
इस अवसर पर राकांपा अध्यक्ष पवार ने कहा, ‘‘आदिवासियों की समस्याओं व उनके अधिकारों के लिए हम सब एकजुट होकर सभी विषयों पर चर्चा करेंगे। देश में जितने भी बांध, राजमार्ग एवं रेल मार्ग बने, इनमें सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासियों को अपनी जमीन से वंचित होकर उठाना पड़ा।’’
उन्होंने कहा कि वन अधिनियम 1972 बनने के बाद आदिवासियों के अधिकारों को सीमित कर दिया गया, जबकि जल, जंगल और जमीन को बचाने वाले आदिवासी ही हैं। पवार ने कहा कि सभी बिन्दुओं पर आदिवासियों की मांग केंद्र सरकार के सामने रखी जाएगी।