‘सरदार उधम' को प्रतिशोध की कहानी नहीं बनाना चाहता था: शूजीत सरकार

By भाषा | Updated: October 29, 2021 15:08 IST2021-10-29T15:08:31+5:302021-10-29T15:08:31+5:30

Didn't want to make 'Sardar Udham' a vendetta story: Shoojit Sircar | ‘सरदार उधम' को प्रतिशोध की कहानी नहीं बनाना चाहता था: शूजीत सरकार

‘सरदार उधम' को प्रतिशोध की कहानी नहीं बनाना चाहता था: शूजीत सरकार

(बेदिका)

नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर फिल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने कहा कि वह अपनी फिल्म ‘सरदार उधम’ में दिखाए गए समानता एवं एकता से विचारों से दर्शकों को जुड़ाव महसूस करता देखकर ‘‘अभिभूत’’ है।

यह फिल्म उधम सिंह के नजरिए से 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार को दिखाती है। जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ' डायर को लंदन में जाकर गोली मारने वाले स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी उधम सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म ‘सरदार उधम’ को आलोचकों एवं दर्शकों से काफी प्रशंसा मिल रही है। यह फिल्म इस महीने की शुरुआत में प्राइम वीडियो पर रिलीज की गई थी।

फिल्मकार ने कहा कि वह स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और उनकी लेखनी के प्रशंसक रहे हैं और वह नहीं चाहते थे कि विकी कौशल अभिनीत फिल्म ‘सरकार उधम’ प्रतिशोध की कहानी बने। उन्होंने कहा कि वह अपनी फिल्म में यह बताना चाहते थे कि उधम सिंह और अन्य युवा क्रांतिकारियों ने जो मार्ग चुना, उन्हें उसकी प्रेरणा कहां से मिली।

सरकार ने कहा, ‘‘मैं यह कहना चाहता था कि यह सिर्फ प्रतिशोध की कहानी नहीं है। उधम सिंह केवल बदला लेने के लिए लंदन नहीं गए थे। उन्होंने (1940 में) ओ’डायर की हत्या इसलिए की, क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प शायद नहीं था। मुझे ऐसा लगता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘(एक क्रांतिकारी और एक आतंकवादी के बीच का) अंतर बहुत कम है। उनके (ब्रितानियों के) लिए वह शायद एक अपराधी या आतंकवादी थे, लेकिन हमारे लिए वह क्रांतिकारी थे, इसलिए मैंने यह फैसला दर्शकों पर छोड़ दिया।’’

'विकी डोनर', 'पीकू', 'अक्टूबर' और 'गुलाबो सिताबो' जैसी फिल्मों के लिए मशहूर सरकार ने कहा कि उनकी टीम ने फिल्म के कुछ अहम दृश्यों को पर्दे पर उतारने के लिए व्यापक शोध किया है, जिन्हें उनके संयमित चित्रण के लिए सराहा गया है।

सरकार ने ‘पीटीआई भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘सिनेप्रेमियों से जो प्रतिक्रिया मिल रही है और वह जिस तरह फिल्म से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं, वह अभिभूत करने वाला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह फिल्म कई लोगों को एक जैसा सोचने के लिए एकजुट कर सकती है, तो मुझे लगता है कि यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।’’

निर्देशक ने कहा कि जिस दृश्य में भगत सिंह और उधम सिंह स्वतंत्रता, समानता और क्रांति के बारे में अपने विचारों पर चर्चा करते हैं, वह फिल्म के लिए बहुत अहम है।

सरकार ने कहा, ‘‘यह फिल्म समानता की बात करती है... हम अब भी समान नहीं है और अब कई बातों को लेकर विभाजित हैं। मैं केवल धन की बात नहीं कर रहा... मैं अन्य विषयों की भी बात कर रहा हूं। कई बातें हमें बांटती हैं... और हम अब भी इससे जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि उधम सिंह ब्रितानियों के समक्ष अपनी पहचान ‘राम मोहम्मद सिंह आजाद’ के रूप में देते हैं, जो भारत की ‘अनेकता में एकता’ के बारे में क्रांतिकारियों के सोचने का तरीका था।

सरकार ने कई बार बताया है कि वह उधम सिंह पर दो दशक पहले से फिल्म बनाने की सोच रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी फिल्म भगत सिंह पर बनाना चाहता था, मगर उस समय उनके जीवन पर आधारित कई फिल्में बन रही थीं।’’

अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग की अपनी यात्राओं का जिक्र करते हुए फिल्म निर्माता ने कहा कि उन्होंने फिल्म में उस भावना को दर्शाने की कोशिश की जो इस ऐतिहासिक स्थल को देखकर उनके अंदर पैदा हुई।

निर्देशक ने कहा कि वह मुंबई के किसी स्टूडियो में नरसंहार का दृश्य शूट नहीं करना चाहते थे और उन्होंने इसकी शूटिंग के लिए जलियांवाला बाग जैसी जगह ढूंढी।

फिल्म में सरकार ने एक और रचनात्मक निर्णय था। उन्होंने जलियांवाला बाग की घटना को अंत में दिखाया और शुरुआत में ओ'डायर की हत्या को प्रदर्शित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह फिल्म पूरी तरह से सब कुछ नहीं बताती है। मैंने इसे लोगों पर छोड़ दिया है कि वह खुद इस बारे में मनन करें।

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