भाषण में धार्मिक दुश्मनी बढ़ाने वाली बात नहीं की, शरजील इमाम ने अदालत से कहा

By भाषा | Updated: December 1, 2021 15:45 IST2021-12-01T15:45:08+5:302021-12-01T15:45:08+5:30

Did not talk about increasing religious enmity in the speech, Sharjeel Imam told the court | भाषण में धार्मिक दुश्मनी बढ़ाने वाली बात नहीं की, शरजील इमाम ने अदालत से कहा

भाषण में धार्मिक दुश्मनी बढ़ाने वाली बात नहीं की, शरजील इमाम ने अदालत से कहा

नयी दिल्ली, एक दिसंबर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि उनके भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे धार्मिक दुश्मनी हो।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत 2019 में दो विश्वविद्यालयों में इमाम द्वारा दिए गए कथित भाषणों के लिए उनके खिलाफ दायर एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जहां इमाम ने कथित तौर पर भारत से असम और बाकी पूर्वोत्तर को ‘काटने’ की चेतावनी दी थी।

इमाम को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत राजद्रोह के कथित अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया था और अब उन्होंने मामले में जमानत के साथ-साथ आरोपमुक्त करने का अनुरोध किया है।

इमाम ने 2019 जामिया हिंसा से संबंधित राजद्रोह के एक और मामले में जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है।

कार्यवाही के दौरान इमाम के वकील ने कहा, ‘‘भाषण में ऐसा कुछ भी नहीं था जो किसी भी तरह की धार्मिक दुश्मनी का कारण बनता हो। हम संदर्भ से अलग कर नहीं देख सकते हैं। सीएए-एनआरसी के संबंध में शरजील इमाम ने जो कहा वह यह कि सीधे तौर पर एक समुदाय को जितना प्रभावित करता है, ऐसे में बहुसंख्यक समुदाय से किस तरह का समर्थन मिलना चाहिए।’’

वकील तनवीर अहमद मीर ने आगे कहा, ‘‘अगर किसी व्यक्ति को एक सरकारी नीति के संबंध में कहना है जो एक समुदाय ‘ए’ को सीधे प्रभावित करता है तो दूसरे समुदाय ‘बी’ के लोगों को उनके साथ खड़े होना चाहिए। अगर वे आपका समर्थन नहीं कर रहे हैं तो इस बारे में हम नहीं कह सकते कि भाषण का वह हिस्सा दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देता है।’’

उन्होंने न्यायाधीश को हाल में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से भी अवगत कराया, जिसमें इमाम को जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण के लिए उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले में जमानत दी गई थी।

न्यायाधीश रावत जमानत और आरोप मुक्त करने के इमाम की अर्जियों पर आदेश सात दिसंबर के लिए सुरक्षित रखा और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद को राज्य की ओर से विस्तृत लिखित बयान दाखिल करने का निर्देश दिया।

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