Lockdown Impact: कोरोना वायरस के कारण घरों में कैद हुए भक्त, गंगा स्नान कर रहीं भैंसें

By भाषा | Updated: May 3, 2020 17:37 IST2020-05-03T17:37:42+5:302020-05-03T17:37:42+5:30

जहां एक ओर कोरोना वायरस के कारण लागू हुए लॉकडाउन की वजह से सभी अपने-अपने घरों में कैद हो गए हैं तो वहीं जानवर अब अपनी मर्जी से ठहलते हुए नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में लॉकडाउन के कारण भक्त गंगा में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, जबकि भैंसें गंगा स्नान कर रही हैं।

Devotees imprisoned in lockdown, buffalo bathing Ganga | Lockdown Impact: कोरोना वायरस के कारण घरों में कैद हुए भक्त, गंगा स्नान कर रहीं भैंसें

लॉकडाउन में भगत घरों में कैद, भैंसें कर रहीं गंगा स्नान (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsस्थानीय लोगों और पंडों को पुलिस डंडा मारकर भगा देती है।दारागंज के कछार में ककड़ी की खेती करने वाले गुलशन ने बताया कि काली सड़क, राम घाट, दशाश्वमेध घाट पर रोजाना 500 भैसें आती हैं और दिनभर गंगा में नहाती हैं।

प्रयागराज: कोरोना (Coronavirus) संकट के चलते लॉकडाउन ने प्रतिदिन गंगा स्नान करने वाले ज्यादातर भक्तों को घरों में कैद कर दिया है, लेकिन शहर की भैंसें पहले की तरह ही झुंड में प्रतिदिन गंगा स्नान कर रही हैं और इन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। दारागंज के कछार में ककड़ी की खेती करने वाले गुलशन ने बताया कि काली सड़क, राम घाट, दशाश्वमेध घाट पर रोजाना 500 भैसें आती हैं और दिनभर गंगा में नहाती हैं। 

वहीं स्थानीय लोगों और पंडों को पुलिस डंडा मारकर भगा देती है। हालांकि शहर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पुलिस को चकमा देकर भोर में ही गंगा स्नान कर रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या महज 50-60 है। दारागंज के निवासी लल्लर कुमार निषाद ने बताया कि आसपास के क्षेत्र के 50-60 लोग लॉकडाउन होने के बावजूद प्रतिदिन गंगा स्नान करने आते हैं, जबकि आम दिनों में शहर से 200-250 आदमी दारागंज और 1,000-1,500 लोग संगम में स्नान करने आते हैं। 

दारागंज के पास के अल्लाहपुर से गंगा स्नान करने आए राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने बताया, “मैं सन् 1986 से प्रतिदिन गंगा स्नान करने आ रहा हूं। पुलिस की सख्ती के दौरान मैं भोर में ही स्नान कर निकल जाता था। पिछले महीने भर से कारखानों की गंदगी गंगा में नहीं आने से गंगा जल इतना निर्मल हो गया है कि मैं रोज एक लोटा जल पीकर जाता हूं।” 

बैरहना से प्रतिदिन स्नान के लिए घाट जाने वाले रामचंद्र ने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है, वह गंगा स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि रास्ते में कई जगह बैरिकेड लगे रहने से पुलिस हर जगह पूछताछ करती है। पहले सुबह का समय घाट पर अच्छा कटता था। बीएसएनएल से 2007 में सेवानिवृत्त होने के बाद से प्रतिदिन गंगा स्नान करने वाले राधेश्याम गुप्ता ने बताया, “मैं और मेरे तीन साथी सुबह 5:30 बजे ही गंगा स्नान कर लेते हैं क्योंकि सुबह आठ बजे पुलिस वाले आ जाते हैं और स्नान करने से मना करते हैं।” 

वहीं भैंसों को रोजाना गंगा स्नान कराने वाले भैंस पालक रमेश यादव ने कहा कि लॉकडाउन में भैंसों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा नहीं है और ये बड़े आराम से घाट जाती हैं और स्नान करके वापस आ जाती हैं। दारांगज के निवासी रमेश ने बताया कि लॉकडाउन में कई दिनों तक भूसा-चारे की दिक्कत रही, लेकिन प्रशासन ने चारे की आपूर्ति बढ़वा दी है जिससे यह समस्या खत्म हो गई है। अल्लापुर के बंटी यादव ने कहा कि भैंस अगर सैर पर न निकलें और पानी में अपने शरीर की गर्मी दूर न करें तो उसका दूध ठीक से नहीं उतरता। अब शहर में तालाब आदि नहीं हैं, इसलिए ये पास में गंगा में तरावट ले रही हैं।

Web Title: Devotees imprisoned in lockdown, buffalo bathing Ganga

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