कड़ी निगरानी के बावजूद दो साल में सांसदों और विधायकों के विरुद्ध दर्ज मामले बढ़े

By भाषा | Published: August 10, 2021 07:24 PM2021-08-10T19:24:56+5:302021-08-10T19:24:56+5:30

Despite strict monitoring, cases registered against MPs and MLAs increased in two years | कड़ी निगरानी के बावजूद दो साल में सांसदों और विधायकों के विरुद्ध दर्ज मामले बढ़े

कड़ी निगरानी के बावजूद दो साल में सांसदों और विधायकों के विरुद्ध दर्ज मामले बढ़े

नयी दिल्ली, 10 अगस्त उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को कहा गया कि कड़ी निगरानी और निर्देश दिए जाने के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। दिसंबर 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 4,122 थी जो सितंबर 2020 में बढ़कर 4,859 हो गई।

कानून निर्माताओं के विरुद्ध आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे के लिए दायर एक जनहित याचिका में न्यायालय की सहायता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामलों के लंबित होने के कई कारण बताए।

उन्होंने कहा कि इनमें राज्य सरकारों द्वारा मामले वापस लिया जाना, विशेष अदालतों का क्षेत्राधिकार और सांसदों तथा विधायकों के लिए गठित विशेष अदालतों में विधिक अधिकारियों की दो साल का निश्चित कार्यकाल जैसे कारण शामिल हैं।

हंसारिया की रिपोर्ट वकील स्नेहा कालिता द्वारा पेश की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि बिहार हर महीने रिपोर्ट सौंप रहा है और उस राज्य में सितंबर 2020 में 557 मामले थे जो जुलाई 2021 के बढ़कर 582 हो गए।

कानून निर्माताओं के विरुद्ध लंबित मामलों पर न्याय मित्र हंसारिया की 13वीं रिपोर्ट को प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिकॉर्ड में दर्ज किया और अनेक आदेश जारी किये।

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Web Title: Despite strict monitoring, cases registered against MPs and MLAs increased in two years

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