एनजीटी ने कहा- लगातार निगरानी के बावजूद गंगा में लगातार जा रहे प्रदूषक  

By भाषा | Published: August 16, 2020 05:39 AM2020-08-16T05:39:27+5:302020-08-16T05:39:27+5:30

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल ने कहा कि राज्य सीवेज शोधन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब भी निविदा देने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के काम में ही पहुंच पाए हैं। 

Despite constant monitoring, pollutants going continuously into the Ganges says NGT | एनजीटी ने कहा- लगातार निगरानी के बावजूद गंगा में लगातार जा रहे प्रदूषक  

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlights राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तरी राज्यों के मुख्य सचिवों को गंगा को पुनर्जीवन देने के काम की समय-समय पर निगरानी करने का निर्देश दिया। उसने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि विभिन्न अदालतों की ओर से लगातार निगरानी करने के बावजूद पवित्र नदी में प्रदूषक तत्व लगातार जा रहे हैं।

नई दिल्लीः राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तरी राज्यों के मुख्य सचिवों को गंगा को पुनर्जीवन देने के काम की समय-समय पर निगरानी करने का निर्देश दिया और कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि विभिन्न अदालतों की ओर से लगातार निगरानी करने के बावजूद पवित्र नदी में प्रदूषक तत्व लगातार जा रहे हैं। हरित पैनल ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों को पुनर्जीवन काम की समय-समय पर निगरानी करने का निर्देश दिया। 

एनजीटी ने कहा कि राज्यों को इस मामले को नजरअंदाज नहीं करते हुए इसे और गंभीरता से लेना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह महसूस होता है कि संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की समय-समय पर संयुक्त बैठकें होना चाहिए जिनमें मानव संसाधन, गंगा के पुनर्जीवन के काम के सर्वश्रेष्ठ तरीकों, खासकर उसमें सीवेज गिरने से रोकने तथा अन्य प्रदूषक तत्वों को जाने से रोकने जैसे मुद्दों पर बातचीत हो सके।’’ 

पीठ ने आगे कहा, ‘‘यह दुख की बात है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा लगातार 34 वर्षों (1985 - 2014) तक निगरानी करने, बीते छह वर्ष से इस अधिकरण द्वारा निगरानी करने और जलाशयों को प्रदूषित करने को अपराध बनाने वाले जल (प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम) अधिनियम को लागू हुए 46 वर्ष बीत जाने के बावजूद इस सबसे पवित्र नदी में प्रदूषक तत्व लगातार जा रहे हैं।’’ 

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल ने कहा कि राज्य सीवेज शोधन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब भी निविदा देने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के काम में ही पहुंच पाए हैं। 

पीठ ने कहा, ‘‘प्रदूषण मुक्त पर्यावरण हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार और राज्यों का संवैधानिक कर्तव्य है। इस मायने में राज्य निश्चित ही अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने में विफल रहे हैं।’’ 

Web Title: Despite constant monitoring, pollutants going continuously into the Ganges says NGT

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