प्राथमिकी के खिलाफ देशमुख की याचिका पर अदालत का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार

By भाषा | Updated: May 6, 2021 14:11 IST2021-05-06T14:11:47+5:302021-05-06T14:11:47+5:30

Deshmukh's plea against the FIR refused to pass interim order of court | प्राथमिकी के खिलाफ देशमुख की याचिका पर अदालत का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार

प्राथमिकी के खिलाफ देशमुख की याचिका पर अदालत का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार

मुंबई, छह मई बंबई उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोपों में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने के उनके आग्रह पर बृहस्पतिवार को अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह प्राथमिकी रद्द करने के लिये देशमुख की याचिका पर चार हफ्ते में हलफनामा दायर करें।

देशमुख की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने राकांपा नेता को किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण देने के लिए अंतरिम आदेश का अनुरोध किया।

देसाई ने कहा, “ सीबीआई याचिका को लेकर अपना हलफनामा दायर कर सकती है, लेकिन तब तक याची को संरक्षण दिया जाए।”

सीबीआई के वकील अनिल सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एजेंसी को बुधवार को ही याचिका की प्रति दी गई है और इसलिए उसे अपना हलफनामा दायर करने के लिए समय चाहिए।

अदालत ने फिर कहा कि प्रतिवादी (सीबीआई) को याचिका का जवाब देने का मौका देना चाहिए।

अदालत ने कहा, “ हम संबंधित पक्षों को सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। अगर बेहद जरूरी है तो आप (देशमुख) उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ के पास जा सकते हैं। आपको (देशमुख को) यह स्वतंत्रता है।”

पीठ ने कहा कि अगर देशमुख अवकाशकालीन पीठ का रुख करते हैं तो उन्हें सीबीआई को 48 घंटे का नोटिस देना होगा।

देशमुख ने उच्च न्यायालय में तीन मई को याचिका दायर कर सीबीआई द्वारा 21 अप्रैल को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा सात, भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी को चुनौती दी थी।

याचिका में देशमुख ने दावा किया है कि राज्य सरकार की मंजूरी के बगैर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है।

याचिका के मुताबिक, यह प्राथमिकी पक्षपातपूर्ण, संदिग्ध और गुप्त मंशा से उन लोगों के कहने पर दर्ज की गई है जिनके उनके खिलाफ राजनीतिक या अन्य प्रतिशोध हैं।

इसमें कहा गया है कि प्राथमिकी में अस्पष्ट आरोप लगाए गए हैं और भ्रष्टाचार का कोई मामला ही नहीं बनता है।

सीबीआई ने पांच अप्रैल के उच्च न्यायालय के आदेश पर देशमुख के खिलाफ शुरुआती जांच (पीई) शुरू की थी। उच्च न्यायालय ने वकील जयश्री पाटिल और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया था जिन्होंने राकांपा के नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप लगाए थे।

सिंह ने मार्च में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने एपीआई सचिन वाजे से मुंबई के बार और रेस्तरों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने को कहा था।

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Web Title: Deshmukh's plea against the FIR refused to pass interim order of court

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